रांची. नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के जोनल कमांडर करगिल यादव ने शुक्रवार को रांची डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकर और एसएसपी अनीश गुप्ता की मौजूदगी में सरेंडर कर दिया। करिगल पर 10 लाख रुपए का इनाम था। करगिल ने बताया कि वो प्रदेश सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित था और इस बारे में एक महीने से सोच रहा था। आत्मसमर्पण के दौरान करगिल को 10 लाख रुपए का चेक भी सौंपा गया।

14 साल की उम्र में संगठन में हुआ था शामिल : आत्मसमर्पण के दौरान करगिल ने बताया कि साल 1999 में वो 14 साल का था और इस दौरान ही उसने लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र में माओवादी मुरारी गंझू और जगन्नाथ गंझू के दस्ते में शामिल हुआ था। 2003 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था लेकिन कुछ दिनों बाद वो जेल से छुट गया और फिर उस दौरान एक अन्य नक्सली संगठन टीपीसी को खत्म करने के लिए ‘लोरिक सेना’ का गठन किया। कई बार उसके सेना और टीपीसी के नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। आखिरकार जब उसे लगा कि वो अपने सेना के दम पर टीपीसी को खत्म नहीं कर पाएगा तो वो खूंटी के रनिया जंगल में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप से संपर्क कर संगठन में शामिल हो गया।

2008 में भी हुआ था गिरफ्तार : पीएलएफआई में शामिल होने के बाद करगिल को जोनल कमांडर का पद दिया गया। 2008 में रांची पुलिस के ने कारगिल यादव को गिरफ्तार किया था और उसकी निशानदेही पर भारी संख्या में हथियार भी बरामद किए गए थे। लेकिन एक बार फिर जेल से छुटने के बाद वो पीएलएफआई में शामिल होकर सक्रिय सदस्य के रूप में काम करने लगा था।

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