रांची। झारखंड के लातेहार जिला स्थित बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों के लिए सेफ जोन बना हुआ है। माओवादियों के विस्फोटक एक्सपर्ट विश्वनाथ ने अपने बड़े नेताओं को बचाने के लिए बूढ़ा पहाड़ पर एक ऐसी लक्ष्मण रेखा का निर्माण किया है, जिसे भेदना पुलिस के लिए चुनौती बन गयी है। इस कोशिश में पुलिस को कई बार मुंह की खानी पड़ी है। अब तक अभियान के दौरान झारखंड पुलिस के छह जवान शहीद भी हो गये, जबकि 20 से ज्यादा जवान घायल हो चुके हैं। विश्वनाथ ने बूढ़ा पहाड़ में लक्ष्मण रेखा का निर्माण कर दिया है, जिसे भेदने में पुलिस को सफलता नहीं मिल रही है । बूढ़ा पहाड़ पिछले दो सालों से झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। पुलिस कई किलोमीटर तक फैले इस जंगल और पर्वत पर कब्जा करने के प्रयास में है, लेकिन नक्सलियों का अभेद किला बना बूढ़ा पहाड में पुलिस और नक्सलियों के बीच घमासान जारी है। एक तरफ नक्सली अपने सबसे सुरक्षित ठिकाने पर कब्जा हर हाल में बरकरार रखना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ पुलिस भी बूढ़ा पहाड़ पर कब्जे को लेकर नक्सलियों के खिलाफ जोरदार हमला बोल रही है। बूढ़ा पहाड़ पर नक्सली कब्जे को बरकरार रखने के लिए ओड़िशा के दंडकारण्य जंगल से कुख्यात विश्वनाथ का दस्ता एक साल पहले पहुंचा था, जिसके बाद विश्वनाथ के दस्ते के द्वारा बिछाये गये लैंडमाइन विस्फोट में 10 से अधिक जवानों की जान जा चुकी है। अपनी खूबी की वजह से माओवादी संगठन में विश्वनाथ विस्फोटकों के विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले केवल विश्वनाथ और एक-दो लोग ही बम बनाने में माहिर थे, लेकिन उन सबमें विश्वनाथ काफी तेज था। धीरे-धीरे विश्वनाथ ने अपने कई छोटे नक्सली कैडरों को भी बम बनाने में माहिर कर दिया है, जो लगातार अब अपने बड़े नेताओं की सुरक्षा के लिए जंगली इलाकों में लगातार लैंड माइंस बिछा कर उन्हें सुरक्षित रखने का काम कर रहे हैं।
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