जातीय समीकरण पर भी है खास ध्यान, सीट-बूथ के साथ नेताओं की भी हो रही मैपिंग
तीन दिन पहले की बात है। कांग्रेस के एक विधायक ने अनौपचारिक बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के कम से कम एक दर्जन लोगों ने उनसे संपर्क किया है। खास बात यह है कि यह संपर्क टेलीफोन या किसी अन्य माध्यम से नहीं हुआ, बल्कि भाजपा के लोग सीधे उनके पास पहुंचे हैं। इनमें से एक भी व्यक्ति झारखंड का नहीं है, बल्कि दूसरे राज्यों का है। इस विधायक ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर भाजपा के लोगों को उनका पता-ठिकाना कैसे मिल जा रहा है। विधायक ने साफ शब्दों में स्वीकार किया कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए जो तैयारी की है, वह दूसरे दलों के मुकाबले बहुत आगे है। विपक्षी दलों को भाजपा के बराबर आने के लिए अभी बहुत मेहनत करनी होगी।
कांग्रेस विधायक की इस स्वीकारोक्ति से साफ हो जाता है कि भाजपा झारखंड विधानसभा चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है। पार्टी के चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर और सह प्रभारी नंद किशोर यादव राज्य का दौरा कर चुके हैं। पार्टी की चुनाव मशीनरी पूरी तरह सक्रिय है और पार्टी को हर हाल में 65 प्लस का लक्ष्य भेदना है।
अपना घर मजबूत हो, विरोधियों को कमजोर करो
विधानसभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत हासिल करने की तैयारी में जुटी भाजपा ने एक किस्म की नयी राजनीति को जमीन पर उतारा है। अब तक देखा जाता रहा है कि राजनीतिक दल अपना घर मजबूत करने में जुटते हैं, लेकिन भाजपा ने इस बार विरोधियों को कमजोर करने पर भी खासा ध्यान लगा रखा है। पार्टी ने अपने घर को मजबूत करने पर तो ध्यान दिया ही है। इसी उद्देश्य को लेकर उसने राज्य में 25 लाख नये सदस्य बनाने का अभियान चला रखा है। इसके समानांतर पार्टी ने एक और अभियान विरोधियों को नेस्तनाबूद करने का भी जारी रखा है। इसके तहत विरोधी दलों के वैसे नेताओं से लगातार संपर्क किया जा रहा है, जो अपने इलाके में अच्छा-खासा प्रभाव रखते हैं।
पूरे राज्य में ऐसे कम से कम 20 नेताओं की पहचान की जा चुकी है और भाजपा के लोग उनसे नियमित संपर्क में हैं। ऐसी संभावना है कि ये नेता विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के खेमे में शामिल हो सकते हैं।
जातीय समीकरण पर भी खास ध्यान
विरोधी दलों के नेताओं को अपने खेमे में करने के क्रम में भाजपा जातीय समीकरण पर भी खास ध्यान दे रही है। पलामू का उदाहरण सामने है। लोकसभा चुनाव से पहले गिरिनाथ सिंह को अपने पाले में करने के बाद भाजपा ने वहां ब्राह्मण नेताओं से संपर्क साधा है। पलामू का राजनीतिक समीकरण कुछ इस प्रकार का रहा है कि वहां अगड़ों का समर्थन कांग्रेस के पास था, जबकि पिछड़े वोटों का बंटवारा होता था। भाजपा ने गिरिनाथ सिंह के बाद पूर्व विधायक दशरथ सिंह के पुत्र प्रफुल्ल सिंह को अपने पाले में करने के लिए राजी कर लिया है। अब पांकी विधायक देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह पर भाजपा की निगाह है। यदि वह भी भाजपा में आ जाते हैं, तो विरोधी दलों के पास राजपूत नेताओं का टोटा पड़ जायेगा। इसी तरह ब्राह्मण नेताओं से भी भाजपा के संपर्क का फलाफल अगले कुछ दिनों में निकलेगा और इसके सकारात्मक होने की उम्मीद जतायी जा रही है। अगड़ी जातियों पर ध्यान देने से पहले भाजपा राज्य के प्रमुख यादव नेताओं से संपर्क साध चुकी है और इस बात के पूरे आसार हैं कि विधानसभा चुनाव आते-आते विरोधी दलों के पास यादव नेताओं का टोटा पड़ जायेगा।
आदिवासियों को साधने की मुहिम
लोकसभा चुनाव में चाईबासा सीट हारने के बाद भाजपा ने आदिवासी मतों को साधने के लिए गंभीर कोशिश शुरू की है। इसके तहत कोल्हान में झामुमो को कमजोर करने की रणनीति तैयार की गयी है। भाजपा ने कोल्हान के कम से कम पांच झामुमो विधायकों से संपर्क साधा है।
इनमें खरसावां के दशरथ गगराई, चक्रधरपुर के शशिभूषण सामड, मनोहरपुर की जोबा मांझी, चाईबासा के दीपक बिरुआ और बहरागोड़ा के कुणाल षाड़ंगी शामिल हैं। चर्चा है कि ये विधायक पाला बदलने के लिए तैयार हो गये हैं।
दिल्ली से ही हो रही है मैपिंग
भाजपा की इस रणनीति की एक और खास बात यह है कि झारखंड के विरोधी दलों के नेताओं से संपर्क करने की जिम्मेदारी प्रदेश के नेता को नहीं दी गयी है। यह जिम्मा केंद्रीय नेताओं के पास ही है। यह पूरा अभियान पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्देशन में सौदान सिंह, भूपेंद्र यादव, धर्मपाल सिंह और अन्य के कंधों पर टिका हुआ है। मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस पूरे अभियान के समन्वय की जिम्मेदारी मिली हुई है।
भाजपा की इस रणनीति का जवाब फिलहाल विपक्षी दलों के पास नहीं है। झामुमो के साथ झाविमो, कांग्रेस और राजद के नेता अब तक पूरी तरह चुनावी मोड में नहीं आ सके हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की तैयारी पुख्ता है और वह अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रही है।