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    Home»Top Story»कश्मीर पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक
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    कश्मीर पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskAugust 6, 2019No Comments5 Mins Read
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    धारा 370 को हटाने का फैसला, जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटा, अब लद्दाख और जम्मू-कश्मीर अलग-अलग aकेंद्र शासित प्रदेश
    न दोहरी नागरिकता होगी, न अलग झंडा होगा, शेष भारत के लोग वहां बस सकेंगे
    भारत के इतिहास में अगस्त का महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 1942 में नौ अगस्त को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था और इसके पांच साल बाद 1947 में 15 अगस्त को हमारा देश आजाद हुआ। इसके 72 साल बाद पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत को जोड़ने का काम पूरा कर लिया है। इस लिहाज से भारत के इतिहास में यह तारीख भी बेहद महत्वपूर्ण हो गयी है। आजादी के बाद से ही भारत के लिए समस्या बने जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार ने बेहद अहम फैसला लेते हुए इसे दिया गया विशेष दर्जा खत्म कर दिया है। संविधान में जम्मू कश्मीर के लिए धारा 370 के जो प्रावधान किये गये थे, उसे खत्म कर दिया गया है। यह फैसला मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक कौशल और बेमिसाल आत्मविश्वास का परिचायक है।

    जम्मू कश्मीर पर क्या है फैसला
    मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के बारे में चार फैसले किये हैं। इनमें पहला और सबसे महत्वपूर्ण फैसला है संविधान की धारा 370 को हटाने का। इस फैसले के बाद अब जम्मू कश्मीर के लोग भी अब भारत के नागरिक कहे जायेंगे। वहां अब शेष भारत के लोग जमीन और संपत्ति खरीद सकेंगे, वहां का अलग झंडा नहीं होगा और न ही अलग संविधान होगा। इसका मतलब यह है कि अब जम्मू-कश्मीर भारत के दूसरे प्रदेशों की तरह ही हो गया है। मोदी सरकार का दूसरा फैसला जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का है। इस फैसले के अनुसार लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है। तीसरा फैसला जम्मू-कश्मीर को राज्य की बजाय केंद्र शासित प्रदेश बनाने का है, जिसका मतलब यह है कि वहां अब राज्य सरकार नहीं होगी, बल्कि प्रशासन सीधे केंद्र के हाथों में होगा। चौथा फैसला लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का है।
    क्यों लागू हुई थी धारा 370
    अब जबकि संविधान की धारा 370 हटा ली गयी है, यह सवाल उठना लाजिमी है कि इस धारा को लागू ही क्यों किया गया था। इसका जवाब यह है कि ऐसा करना उस समय की परिस्थितियों के लिए अनिवार्य था। जब तक यह धारा लागू नहीं होती, अखंड भारत का सपना साकार नहीं हो सकता था। भारत की आजादी के समय जब कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरी सिंह ने खुद को स्वतंत्र रियासत घोषित कर दिया था, तब पाकिस्तान के कुछ कबायलियों ने वहां हमला कर दिया था। महाराजा हरी सिंह ने भारत से मदद की गुहार लगायी थी। तब गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उन्हें भारत में विलय की शर्त पर मदद दी थी। बाद में महाराजा हरी सिंह ने कुछ विशेष शर्तों के साथ भारत में विलय के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। इन विशेष शर्तों को धारा 370 में समाहित किया गया था। इस धारा के तहत भारतीय संविधान में दिये गये कई मौलिक अधिकार, मसलन शिक्षा, संपत्ति और धर्म का अधिकार वहां लागू नहीं होते। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान और अलग झंडा भी दिया गया। वहां के लोगों को भारत के साथ-साथ कश्मीर की नागरिकता भी मिलती थी। धारा 370 के अनुसार जम्मू कश्मीर में न तो राष्टÑपति के आदेश लागू होते हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले। कई और प्रावधान इस धारा में शामिल किये गये, जैसे कि यदि कोई कश्मीर लड़की किसी भारतीय से शादी करती थी, तो उसकी कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती थी, लेकिन वही लड़की यदि किसी पाकिस्तानी से शादी करती थी, तो उसके शौहर को कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। इसी तरह कश्मीर में पाकिस्तान का नागरिक तो बस सकता था, वहां की नागरिकता हासिल कर सकता था, लेकिन किसी भारतीय को ऐसा करने की अनुमति नहीं थी। इन प्रावधानों के कारण जम्मू कश्मीर हमेशा भारत के लिए सिरदर्द बना रहा। भारत का मस्तक कहे जानेवाले जम्मू कश्मीर पर दुश्मनों की नापाक नजर गड़ी रही।
    क्या है इस फैसले का मतलब
    मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला कर सचमुच इतिहास रचा है। उसने अखंड भारत के सपने को साकार कर दिया है। इस फैसले का मतलब यही है कि जम्मू-कश्मीर अब भारत के दूसरे प्रदेशों की तरह ही है। वहां शेष भारत के लोग आसानी से जा सकेंगे, बस सकेंगे और उद्योग-धंधे लग सकेंगे। कश्मीर में कोई उद्योग नहीं है। इसलिए वहां बेरोजगारी चरम पर है। वहां का सामाजिक ताना-बाना भी इसलिए कट्टरवादी सोच के अनुरूप है। दुनिया के लिए कश्मीर का दरवाजा खोलने का मतलब वहां का चौतरफा विकास करना है। कश्मीर देश की मुख्य धारा से जुड़ेगा, वहां के लोगों का संपर्क दुनिया से होगा, तो कट्टरपंथी सोच भी खत्म होगी। इस लिहाज से मोदी सरकार का यह फैसला न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि यह कश्मीर के विकास की शुरुआत भी है। वैसे इस फैसले का विरोध करनेवाले तर्क देते हैं कि इससे कश्मीरियों की पहचान खत्म हो जायेगी, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि बंगाल या बिहार या गुजरात या किसी दूसरे राज्य के लोगों की पहचान खत्म हो गयी है। भारत में रहनेवाले सभी भारतीय हैं और यही बात कश्मीरियों पर लागू होगी। इसकी जितनी भी तारीफ की जाये, कम होगी।
    राजनीतिक मास्टर स्ट्रोक
    जम्मू कश्मीर पर मोदी सरकार का फैसला राजनीतिक दृष्टिकोण से एक मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है। यह सभी को पता है कि भाजपा के एजेंडे में धारा 370 को खत्म करना हमेशा शामिल रहा। लेकिन जब नरेंद्र मोदी सरकार ने यह फैसला किया, कई विरोधी दल उसके समर्थन में आ गये हैं।

    Modi's master stroke on Kashmir
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