जम्मू-कश्मीर में 4-जी के मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जम्मू-कश्मीर के चुनिंदा इलाकों में 4-जी इंटरनेट सर्विस बहाल की जाएगी।जम्मू-कश्मीर डिवीजन के एक-एक जिले में ट्रायल के तौर पर 4-जी सर्विस बहाल होगी। दो महीने में इसकी समीक्षा होगी।
केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि रिव्यू कमेटी ने 10 अगस्त को अपनी बैठक में पाया है कि ज़्यादातर हिस्सों में हालात इंटरनेट बहाली के लिए सही नहीं हैं। 15 अगस्त के बाद दो जगहों में प्रायोगिक तौर पर फुल स्पीड इंटरनेट शुरू किया जाएगा। ये दोनों जगहें पाकिस्तान सीमा से दूर होंगी, जहां बहुत कम आतंकी घटनाएं हुई हैं। सुनवाई के दौरान 7 अगस्त को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल एक दिन पहले ही नियुक्त हुए हैं। वे इस मामले में जवाब देने के लिए समय की मांग कर रहे हैं। जस्टिस रमना ने मेहता से पूछा था कि हम जमीनी हकीकत से अलग यह जानना चाहते हैं कि क्या कुछ इलाकों में 4-जी इंटरनेट सेवा शुरू करना संभव है। मेहता ने कहा कि नए उप राज्यपाल के कार्यभार संभालने के बाद कुछ स्थितियां बदली हैं जिन पर विचार करना जरूरी है।
कोर्ट ने पिछली 16 जुलाई को केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया था। याचिका फाउंडेशन ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्स ने दायर की है। पिछली 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए 4जी की जरूरत पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार को एक हाई पावर्ड कमेटी का गठऩ करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस कमेटी की अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव करेंगे। यह कमेटी याचिकाकर्ताओं की समस्याओं पर गौर करेगी। कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट से जुड़ी जमीनी हकीकत पर गौर करेगी। कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वे जम्मू-कश्मीर के पत्रकारों, डॉक्टरों और वकीलों की समस्याओं पर गौर करेंगे और धीमे नेटवर्क का वैकल्पिक हल निकालेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार में संतुलन की जरूरत है। हम यह समझते हैं कि जम्मू-कश्मीर में संकट है। हम यह भी समझते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से लोगों को तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं।
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