रूस 12 अगस्‍त को कोरोना वैक्‍सीन का रजिस्‍ट्रेशन कराने जा रही है। हालांकि वैज्ञानिक वैक्सीन को लेकर रूस के इन दावों पर कई देश संदेह जता रहे हैं। ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों के विशेषज्ञ इस वैक्सीन की सुरक्षा और असर पर सवाल उठा रहे हैं। ब्रिटेन ने तो रूस की इस वैक्सीन का इस्तेमाल करने से ही साफ इनकार कर दिया है। इधर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी वैक्सीन को लेकर हो रही हड़बड़ी से चिंता में है।

डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता

डब्ल्यूएचओ ने इसको लेकर चेतावनी भी जारी की है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयियस ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन कोई जादुई गोली नहीं होगी, जो पलक झपकते ही कोरोना वायरस को खत्म कर देगी। डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है इसलिए सबको साथ मिलकर प्रयास करने होंगे।

अमीर देशों को दी चेतावनी

अभी हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन पर राष्ट्रवाद के खिलाफ चेतावनी दी थी। डब्ल्यूएचओ ने अमीर देशों को आगाह करते हुए कहा था कि यदि वे खुद के लोगों के उपचार में लगे रहते हैं और अगर गरीब देश बीमारी की जद में हैं तो वे सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्येयियस ने कहा, ‘वैक्सीन पर राष्ट्रवाद अच्छा नहीं है, यह दुनिया की मदद नहीं करेगा। दुनिया के लिए तेजी से ठीक होने के लिए इसे एक साथ ठीक होना होगा, क्योंकि यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। अर्थव्यवस्थाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। दुनिया के सिर्फ कुछ हिस्से या सिर्फ कुछ देश सुरक्षित या ठीक नहीं हो सकते।’

रुख की हड़बड़ी को लेकर दुनिया आशंकित

वैक्सीन को लेकर रूस के रुख और हड़बड़ी को लेकर दुनिया के जाने माने वैज्ञानिक भी आशंकित हैं। अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथोनी स्टीफन फॉसी के वरिष्ठ सलाहकार डेविड मारेंस ने कहा कि वैक्सीन बनाने का हर प्रयास एक अंध परीक्षण की तरह होता है जो शुरुआत में तो अच्छे परिणामों के साथ आता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती कि अंतिम चरण में भी वह वैक्सीन अपने ट्रायल के दौरान सफल साबित हो।

हालांकि डॉ. मारेंस ने उम्मीद जताई है कि पहली बार में ही ये कामयाब हो जाए और 6 से 12 महीनों के भीतर एक अच्छी वैक्सीन आ जाए। लोगों के जेहन में इस वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल हैं। लोग ये भी जानना चाहते हैं कि आखिर ये वैक्सीन काम कैसे करती है।

भारत की दो कंपनियां भी बना रही है वैक्‍सीन

भारत की दो कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने की होड़ में हैं। इनमें एक भारत बायोटेक कंपनी और दूसरी जाइडस कैडिला है। जाइडस कैडिला ने डीएनए बेस्ड वैक्सीन विकसित की है। इस वैक्सीन को 3 जुलाई को ह्युमन ट्रायल के लिए अप्रूवल मिला है। वहीं भारत बायोटेक पहले चरण का ट्रायल पूरा कर चुकी है और अब दूसरे चरण के ट्रायल की तैयारी कर रही है।

दुनिया की सबसे भरोसेमंद मानी जा रही ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविडशील्ड भी इस साल नवम्बर तक आ सकती है। भारत में 18 जगहों पर इसका ट्रायल जारी है, जिसमें 1600 वॉलंटियर्स शामिल हैं। ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन की कीमत 225 रुपये प्रति डोज हो सकती है। अगर ये सच साबित हुआ तो यह दुनिया में कोरोना की सबसे सस्ती वैक्सीन होगी।

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