रक्षामंत्री राज नाथ सिंह ने कहा है कि भारत न केवल रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में पर्याप्त प्रगति करेगा बल्कि रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बनेगा। भारतीय नौसेना हमेशा स्वदेशीकरण के मामले में आगे रही है। अब हमें इस पर और ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जिस पर बढ़ने की दिशा में काम किया जा रहा है​​। भारतीय नौसेना, डीआरडीओ, शैक्षणिक संस्थान, डीपीएसयू और निजी उद्योगों के सक्रिय सहयोग से स्वदेशीकरण के प्रयासों में बहुत आगे बढ़ रहे हैं। देश का पहला स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि भारत में पांच दशक से भी अधिक समय पहले बनाया गया था।   ​नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन​ के​ ‘आत्मनिर्भर भारत के लिए नवोन्मेष और स्वदेशीकरण’​ ​वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना, ​​यूनिवर्सिटी रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय’​ ​और​ ‘​मेकर विलेज​’ का यह संयुक्त ​अभियान रक्षा स्वदेशीकरण और नवाचार को एक नई दिशा, एक नया आयाम देगा​​​। ​प्रधानमंत्री ने​​​​ ​’​आपदा को अवसर​’ में बदलने के लिए ​’​आत्मनिर्भर भारत’ का मार्ग दर्शाया है। नवाचार और स्वदेशीकरण इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा​ सकता है​​। ​इसी आधार पर ही रक्षा ​के क्षेत्र ​में आत्मनिर्भरता की नींव रखी जा सकती है​​​​​।​ ​सभी हितधारकों को रक्षा में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ कदम​ ​​​​​​​​​​​से​ ​​​कदम मिला कर कार्य करना ​होगा​। सहयोग, समन्वय और नई भागीदारी इस​​के लिए महत्वपूर्ण हैं​​।    उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर ने यह चुनौती स्वीकारी है और हमें बहुत जल्द परिणाम देखने को मिलेंगे। हमारे युद्धपोत निर्माण में पिछले कुछ वर्षों में स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। भारतीय नौसेना की ऋणशोधन योजना 2015-2030 और विमानन स्वदेशीकरण रोडमैप 2017-22 ने महत्वपूर्ण नौसेना प्रणाली के घरेलू विकास और निर्माण के लिए कई कार्यक्रमों की पहचान की है। भारतीय नौसेना की स्वदेशीकरण पर यह पहल सरकार की नई रक्षा नीति का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि भारत अब तक रक्षा आयात पर निर्भर रहा है क्योंकि हथियार और उपकरण के घरेलू रक्षा उद्योग को विकसित नहीं होने दिया गया। संसद में एक बिल पेश किया गया है, जिससे रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा।    रक्षा मंत्री ने इस बात पर ख़ुशी जताई कि हमारे पास दुनिया की सबसे अच्छी दिमागी ताकत है। हमारे इंजीनियरिंग संस्थानों के शोध इस बात की पुष्टि करते हैं। रक्षा क्षेत्र में शैक्षणिक अनुसंधान पिछले कुछ वर्षों में शुरू हुआ है। इसकी वजह से उपकरण उपयोगकर्ताओं और अनुसंधान प्रतिष्ठानों के बीच मजबूत संबंध बने हैं। उन्होंने भारतीय नौसेना के साथ-साथ उन सभी संगठनों को शुभकामना दी जो नौसेना के साथ साझेदारी कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हम सभी साथ मिलकर काम करें और जब तक ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक हम तेज़ गति से कार्य करते रहें।

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