कोरोना की वैक्सीन को लेकर दुनियाभर की कई कंपनियां शोध कर रह हैं और अलग-अलग चरण पर उनका ट्रायल चल रहा है। इस कड़ी में ऑक्सफोर्ड-आस्टाजेनेका वैक्सीन सबसे आगे, जिसे भारत में कोविडशील्ड के नाम से तैयार किया जा रहा है। पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन को तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है। अब कंपनी की ओर से अमेरिका की कंपनी नोवावैक्स इंक के साथ सप्लाई और लाइसेंस का करार किया गया है।
अमेरिका की सेक्युरिटीज एक्सचेंज कमिशन में जो दस्तावेज दाखिल किए गए हैं उसके अनुसार दो कंपनियों के बीच 30 जुलाई को करार हुआ है, जिसके तहत कोरोना की वैक्सीसन को तैयार करने, उसके को-फॉर्मुलेशन, दवा को अंतिम रूप देने, रजिस्ट्रेशन और बिक्री को लेकर करार हुआ है। यह करार कोविड की वैक्सीन NVX-CoV2373 के लिए किया गया है। नोवामैक्स ने मंगलवार को दावा किया था कि उसकी वैक्सीन के शुरुआती चरण में काफी अच्छे परिणाम मिले हैं। 50 लोगों पर इसका ट्रायल किया गया जोकि काफी सफल रहा है।
दोनों कंपनियों के बीच हुए करार के बाद भारत की कंपनी इस वैक्सीन को भारत में लोगों तक पहुंचाने का काम करेगी। उसके पास कोरोना महामारी के समय नॉन-एक्सक्लुसिव अधिकार रहेगा। महामारी खत्म होने के बाद कंपनी इस वैक्सनी को निचले या मध्यम वर्ग की कमाई वाले देशों को भी सप्लाई कर सकती है। इस करार के तहत सीरम इंस्टिट्यूट वैक्सीन के दो अहम तत्वों को खरीदेगी, जिसमे एंटीजेन दवा और नोवामैक्स ट्रेडमार्क की सह औषधि शामिल होगी। वैक्सीन की बिक्री से जो भी कमाई होगी दोनों कंपनिया इसके आधे-आधे की हिस्सेदार होंगी।