रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को साउथ ब्लाक में ‘आत्मनिर्भर भारत सप्ताह’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि यदि हम अपने सभी साजो-सामान अपने देश में ही निर्मित करने में सक्षम होते हैं, तो देश की पूंजी का एक बड़ा हिस्सा बच सकता है। ‘आत्मनिर्भर’ का मतलब कभी भी स्वयं को दुनिया से अलग करना नहीं होता है। मैं समझता हूं कि हमारा देश, दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाए रखने में कामयाब होगा।

 

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इसी दिशा में बढ़ने के लिए हम ‘आत्मनिर्भर सप्ताह’ मना रहे हैं जिसमें हम कुछ ऐसे कदम उठाएंगे जो हमें स्वदेशीकरण, रक्षा बुनियादी ढांचे में निवेश तथा रक्षा विनिर्माण क्षमता में विस्तार की ओर ले जाएगाI आने वाले समय में इस सूची में हम और भी आइटम डालेंगे जिससे हम करोड़ों के आयात को बचा पायेंगेI हमारी सेनाएं सीमा पर निर्भयता के साथ देश की सुरक्षा में लगी हैं। यही नहीं जब हमारा देश कोविड-19 के संकट से गुजर रहा है, उसमें भी इन उद्योगों के विभिन्न प्रकार के योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता। हम अपनी स्थानीय विनिर्माण, मैन पावर को बढ़ा सकते हैं जिससे हमारी घरेलू रक्षा उद्योग और जीवंत हो जायेगी।

 

रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने पहली बार 101 सामानों की ऐसी सूची निकाली है जिसे अब हम आयात नहीं करेंगेI इसमें सिर्फ छोटे आइटम ही नहीं बल्कि बड़े और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी वाली हथियार प्रणाली भी हैं। यदि हम अपने सभी साजो-सामान अपने देश में ही निर्मित करने में सक्षम होते हैं, तो देश की पूंजी का एक बड़ा हिस्सा बचा सकते हैं। दुनिया भर में अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग में रक्षा उद्योग हमेशा से आगे रहा हैI रक्षा प्रौद्योगिकियों का प्रयोग सिविल क्षेत्रों में भी किया जाता है। इसलिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना केवल रक्षा ही नहीं, बल्कि सिविल सोसायटी के लिए भी बहुत लाभकारी हो सकता है। दूसरों के बल पर निर्भर रहकर कभी भी अपना आत्मविश्वास नहीं बनाया जा सकता है। उसके लिए स्वयं का आत्मनिर्भर होना ही एकमात्र रास्ता है।
Share.

Comments are closed.

Exit mobile version