इसका रहस्य खुलेगा, तो कई बड़े चेहरे होंगे बेनकाब
डेढ़ महीने पहले जब प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मुंबई के अपने फ्लैट में मृत पाये गये थे, तब दुनिया को यही पता लगा था कि उन्होंने अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली। लेकिन अब इस मामले में हर दिन जो नये-नये रहस्य बेपर्दा हो रहे हैं, उनसे साफ होने लगा है कि फिल्म जगत की चमकीली दुनिया के पीछे एक ऐसा स्याह पक्ष भी है, जिसके बारे में आम लोगों को कुछ भी पता नहीं है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने इस स्याह पक्ष के कई पहलुओं को सामने लाकर रख दिया है। नेपोटिज्म से शुरू हुई बात अब संपत्ति हड़पने की साजिश और बलात्कार से लेकर जादू-टोने और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंच गयी है। यही कारण है कि बिहार के इस अभिनेता की मौत का मामला हर दिन सुर्खियां बटोर रहा है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले के कितने किरदार अभी सामने नहीं आये हैं और अब लोगों में उम्मीद जगी है कि सीबीआइ की जांच में वे चेहरे भी सामने आ जायेंगे। लोगों को यह विश्वास हो गया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से जुड़े कई रहस्यों के उजागर होने से कई ऐसी जानकारियां सामने आयेंगी, जिनके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इस लिहाज से सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला न केवल भारतीय सिने जगत के अंधेरे पक्ष को उजागर करेगा, बल्कि हाइ प्रोफाइल सोसाइटी में व्याप्त अविश्वास और धोखेबाजी की भावना को भी सामने लायेगा। सुशांत की मौत के मामले की पृष्ठभूमि में इन सवालों के जवाब तलाशती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
बिहार का एक युवा और प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मुंबई में अपने फ्लैट में मृत पाया जाता है। पुलिस कहती है कि उसने अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली। मुंबई से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर पटना में उसके पिता पुलिस के दावे को गलत बताते हैं। फिल्म उद्योग में नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद को लेकर बहस शुरू होती है। इसके बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत अचानक नया मोड़ लेती है। मामला प्यार से शुरू होकर संपत्ति हड़पने की साजिश, धोखाधड़ी, बलात्कार और फिर हत्या के संदेह पर आकर ठहर जाती है।
यह पूरा मामला बॉलीवुड की किसी थ्रिलर फिल्म की पटकथा जैसी लगती है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत से बहुत पहले 31 मार्च 1972 को जब अपने जमाने की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी अपने घर में मृत पायी गयी थीं, तब भी बहुत सी बातें इसी तरह सामने आयी थीं। उनकी मौत का कारण भी अवसाद और नींद की गोलियों को बताया गया था। मीना कुमारी से पहले भी फिल्मी दुनिया के कई नामचीन कलाकारों ने अपनी जान दी थी और यह सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है।
लेकिन सुशांत की मौत इन सबसे अलग है, क्योंकि आज तक ऐसी किसी दुखद घटना ने बॉलीवुड की चमकीली दुनिया का स्याह चेहरा नहीं दिखाया था। सुशांत की मौत के मामले में अब तक जो रहस्य सामने आये हैं, उनसे साफ जाहिर होता है कि यह महज एक आत्महत्या का मामला नहीं है। दिशा सालियान, रिया चक्रवर्ती, सिद्धार्थ पेठानी, सैमुअल मिरांडा और श्रुति मोदी के अलावा इस मामले के कई किरदार हैं, जिनका सामने आना अभी बाकी है। चूंकि मामले की जांच का जिम्मा अब सीबीआइ को सौंपा जा चुका है, इसलिए लोगों को भरोसा हो गया है कि अब मामले की सच्चाई सामने आयेगी।
लेकिन इस मामले के आपराधिक पहलू के अलावा सामाजिक और आर्थिक पहलू भी हैं। मामले का सबसे प्रमुख सवाल यह है कि आखिर लालच और हवस इंसान को कितना नीचे गिरा सकता है। रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत से मुहब्बत की और उनके साथ उनके फ्लैट में काफी दिन तक रही। इतना ही नहीं, सुशांत की जिंदगी के हर राज में वह हमराज थी। यहां तक कि सुशांत को दवा खिलाने की जिम्मेवारी भी उनके पास थी। लेकिन वही रिया अब मामले की निष्पक्ष जांच से भी भाग रही है। किसी इंसान का यह व्यवहार कल्पना से परे है। इसका सीधा मतलब यही निकलता है कि बेहद चमकीली दिखने वाले बॉलीवुड की जिंदगी के पीछे ऐसा अंधेरा चस्पां है, जिसमें किसी का भी चेहरा साफ नहीं है। सुशांत के खाते से 15 करोड़ रुपये किसी दूसरे खाते में ट्रांसफर किये गये, लेकिन उनका मकसद अब तक सामने नहीं आया है। यह लालच की पराकाष्ठा है और सामान्य जीवन में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जिस बॉलीवुड में हर मिनट करोड़ों-अरबों का खेल चुटकियों में होता हो, वहां इतनी छोटी सी रकम के लिए किसी को धोखा देना साबित करता है कि रंगीनियों से भरी यह दुनिया वास्तव में काजल की कोठरी है, जहां हर शख्स दागदार है।
इस मामले का सबसे खौफनाक पहलू इसका राजनीतिकरण है। महाराष्ट्र का पूरा सरकारी अमला पूरी ताकत से रिया चक्रवर्ती को बचाने में जुटा हुआ है। आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है, यह सबसे अहम सवाल है। बिहार पुलिस की टीम सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की आत्महत्या से जुड़ी जानकारी लेने जब मुंबई पुलिस के पास जाती है, तो उसे कहा जाता है कि मामले से जुड़ा विवरण गलती से डिलीट हो गया। क्या मुंबई पुलिस जैसे संगठन से इस गलती की उम्मीद भी किसी को हो सकती है। इतना ही नहीं, बिहार पुलिस की टीम को स्थानीय स्तर पर कोई सहयोग नहीं दिया जाता है और उसके एक एसपी को जबरन क्वारेंटाइन कर दिया जाता है। हद तो तब हो जाती है, जब कॉल डिटेल्स् में यह सामने आता है कि मुंबई पुलिस के एक डीसीपी की रिया चक्रवर्ती से कई बार बातचीत हुई है। वह भी सुशांत की मौत के बाद। अब वह सफाई दे रहे हैं कि यह बातचीत बयान दर्ज कराने को लेकर हुई है। अगर बयान ही दर्ज करवाने की ही बात थी, तो वह तो केस के आइओ करते, इसमें डीसीपी का क्या काम। मुंबई पुलिस-प्रशासन का यह चेहरा आज देश में उसे उपहास का पात्र बना रहा है। मुंबई पुलिस प्रशासन का यह रवैया कहीं न कहीं उसे संदेह के कठघरे में खड़ा करता है। लोगों को अब विश्वास हो चला है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में कुछ न कुछ ऐसा है, जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक शख्स की मौत पर राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही हैं। मौत के पीछे के रहस्यों को सामने लाने की बजाय अधिकार क्षेत्र और आरोप-प्रत्यारोप हो रहा है। इन सबके बीच उस पिता की पीड़ा कोई नहीं महसूस कर रहा, जिसके जवान बेटे की मौत हुई है, उन बहनों के दर्द के बारे में कोई नहीं सोच रहा, जिनकी राखी को भाई की कलाई नहीं मिली। इतनी बेरुखी किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं है। शायद मुंबई की चमकीली दुनिया भी इसी श्रेणी का समाज है।