मुंबई पुलिस ने एजुकेशनल एप BYJU’S के फाउंडर रवींद्रन के खिलाफ आपराधिक आधार में केस दर्ज किया है. रवींद्रन के खिलाफ यूपीएसई पाठ्यक्रम में गलत जानकारी देने का आरोप लगा है. रवींद्र के खिलाफ आरे कॉलोनी पुलिस स्टेशन में आपराधिक साजिश के लिए आईपीसी की धारा 120 बी और आईटी एक्ट की धारा 69 (A) के तहत केस दर्ज किया गया है.
एफआईआर में कंपनी के मालिक रवींद्रन का नाम भी शामिल है. इस एफआईआर की कॉपी एबीपी न्यूज़ के पास मौजूद है. आरे कॉलोनी पुलिस स्टेशन के मुताबिक यह एफआईआर एक साइंस फर्म क्राइमोफोबिया की शिकायत पर दर्ज की गई है. BYJU’S पर आरोप लगा है कि उसने यूपीएससी पाठ्यक्रम में कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई यूएनटीओसी) की एक नोडल एजेंसी है. जबकि सीबीआई ने लिखित में साफ किया है कि वह UNTOC की नोडल एजेंसी नहीं है.
BYJU’S पर आरोप लगाने वालों ने क्या कहा?
क्रिमोफोबिया के संस्थापक स्नेहिल ढल ने कहा, “मुझे मई में पता चला कि BYJU के UPSC पाठ्यक्रम में सीबीआई को UNTOC की नोडल एजेंसी बताया गया है. सके बाद मैंने ईमेल के जरिए उनसे संपर्क किया तो उन्होंने मुझे गृहमंत्रालय का एक पत्र भेजा, जिसमें सीबीआई के नोडल एजेंसी होने की बात कही गई थी. लेकिन यह पत्र साल 2012 का था. मैं इससे संतुष्ट नहीं था और इसलिए फिर मैंने पुलिस का रुख किया और शिकायत दर्ज की.”
ढल ने आगे कहा कि सीबीआई ने 2016 में लिखित रूप में कहा था कि वे यूएनटीओसी के लिए नोडल एजेंसी नहीं हैं. इसके बाद, ढल ने देश में यूएनटीओसी को लागू नहीं करने के लिए भारत सरकार और 45 विभागों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक आपराधिकयाचिका दायर की.
यूएनएससी में भारत का सबसे बड़ा एजेंडा आतंकवाद विरोधी है और यूएनटीओसी आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रमुख कानूनों में से एक है. लेकिन देश में इसे लागू करने के लिए कोई एजेंसी नहीं थी. इसलिए क्राइमोफोबिया ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के जरिए उठाया था.” यूएनटीओसी पर दी गई जानकारी के मुताबित तीन प्रमुख प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, मानव तस्करी, हथियार और गोला-बारूद की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग.