राज्य के उपायुक्तों को भेजा गया पत्र, बतायें क्या स्थिति है न्यायालय में

अजय शर्मा
रांची। राज्य सरकार के निर्णय के बाद पत्थलगड़ी और सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध में किये गये आंदोलन के बाद दर्ज सभी मामलों को सरकार ने वापस ले लिया है। सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा की थी। घोषणा के बाद गृह विभाग ने इस संबंध में कार्रवाई भी शुरू कर दी है। आदिवासी बहुल जिलों में पत्थलगड़ी और सीएनटी-एसपीटी एक्ट के आंदोलन के संबंध में पूरे राज्य में करीब 600 मामले दर्ज हुए और एक लाख से अधिक आदिवासी युवक आरोपी बनाये गये थे।
इन सभी को सरकार के इस फैसले से राहत मिली है। अब इन मामलों में प्रदर्शनकारियों को कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

मंगलवार को मांगी गयी रिपोर्ट
गृह विभाग की ओर से राज्य के छह जिलों के उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी गयी है। इसमें खूंटी, सरायकेला खरसावां, गुमला, सिमडेगा के डीसी भी हैं। भेजे गये पत्र में कहा गया है कि गृह कारा और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 1824 दिनांक 31 मार्च 2021 को एक संकल्प जारी किया गया था। इस संकल्प में लिये गये निर्णयों के अनुरूप संबंधित जिला के उपायुक्त ने रिपोर्ट नहीं दी है। आंदोलन से संबंधित जो मामले वापस लिये गये हैं, उसकी क्या स्थिति है, इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गयी है।

एक फाइल सीएमओ के पास
मुकदमा वापसी से संबंधित अंतिम फाइल सीएमओ में भेज दी गयी है। इस पर सहमति मिलने के बाद करीब 28 मामलों को वापस ले लिया जायेगा। राज्यभर के एसपी और डीसी से आंदोलन के दौरान दर्ज किये गये मामलों की सूची मांगी गयी थी। जैसे-जैसे अधिकारियों ने सूची भेजी वैसे-वैसे मामले वापस ले लिये गये हैं।

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