विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गयी। जिसके कारण मानसून सत्र की कार्यवाही तय समय से दो दिन पहले ही खत्म हो गयी।

बता दें कि सत्र की शुरूआत 19 जुलाई से हुई थी और इसे 13 अगस्त तक चलना था। लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को तय समय से पहले ही रोकनी पड़ गयी। पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष शुरू से ही विरोध कर रहा था। जिसके कारण लगातार सदन की कार्यवाही में गतिरोध उत्पन्न हो रहा और यह गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया।

ओम बिरला ने कहा कि इस बार अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ। इसे लेकर मेरे मन में दुख है। मेरी कोशिश रहती है कि सदन में अधिकतम कामकाज हो, विधायी कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो। हालांकि, इस बार लगातार गतिरोध रहा। ये गतिरोध समाप्त नहीं हो पाया।

उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष संसद के कामकाज की दृष्टि से अधिक उत्पादकता वाले रहे। इस बार कुल उत्पादकता 22 फीसदी रही। 20 विधेयक पारित हुए। सभी संसद सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि हम सदन की कुछ मयार्दाओं को बनाए रखें। हमारी संसदीय मयार्दाएं बहुत उच्च कोटि की रही हैं। मेरा सभी सांसदों से आग्रह है कि संसदीय परंपराओं के अनुसार सदन चले। तख्तियां और नारे हमारी संसदीय परंपराओं के अनुरुप नहीं हैं।

हंगामे की भेंट चढ़ी कार्यवाही
इस सत्र के दौरान ज्यादातर दिनों में प्रश्नकाल के दौरान हंगामा ही हुआ। इसके बावजूद सरकार संविधान संशोधन विधेयक सहित कई विधेयकों को पारित करने में सफल रही, जिनमें राज्यों को अपनी ओबीसी सूची बनाने की अनुमति देने वाला विधेयक भी शामिल है। अनिश्चितकाल के लिए स्थगन से पहले, सदन ने चार पूर्व सदस्यों को भी श्रद्धांजलि दी, जिनका हाल ही में निधन हो गया था। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे।

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