रांची। राज्य में चल रहे राजनीतिक उठापटक के बीच मंगलवार को भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई. दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख किया है. इस मामले पर अब कभी भी स्पीकर के न्यायाधिकरण का निर्णय आ सकता है. बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता के द्वारा बार-बार गवाहों को पेश करने की मांग को न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया और साफ कहा कि जिन आठ बिन्दुओं को कोर्ट ने पूर्व में निर्धारित कर रखा है उसपर बात करें.
संवैधानिक प्रावधानों को रखने का नहीं दिया गया मौका
बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता ने कहा कि इसका पुरजोर विरोध किया. कहा कि उन्हें संवैधानिक प्रावधानों को रखने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने न्यायाधिकरण के समक्ष बार-बार प्रोपोज्ड इश्यू और साक्ष्य को रखने की मांग की. कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत 10 वीं अनुसूची में दिए गए संवैधानिक अवधारणाओं पर भी प्रतिवादी को पक्ष नहीं रखने दिया गया. कहा कि दल बदल मामले में एक ही तरह के सात मामले हैं लेकिन सिर्फ बाबूलाल मरांडी के मामले पर तेजी है जबकि प्रदीप यादव और बंधू तिर्की के मामले पर कुछ नहीं हो रहा है. यह आधा और अपूर्ण सुनवाई के आधार पर फैसले देने की तयारी न्यायोचित नहीं है. न्यायाधिकरण ने सभी बिन्दुओं को सुनने के बाद बाबूलाल मरांडी की सदस्यता से जुड़े चार मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया है और कभी भी इसपर अपना निर्णय सुना सकती है. ये चार मामले हैं राजकुमार यादव बनाम बाबूलाल मरांडी, भूषण तिर्की बनाम बाबूलाल मरांडी, दीपिका पाण्डेय सिंह बनाम बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव व बंधू तिर्की बनाम बाबूलाल मरांडी.