-मुख्यमंत्री ने पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के चयनित विद्यार्थियों को किया सम्मानित
-मुख्यमंत्री ने सीएम फेलोशिप योजना शुरू करने की घोषणा की
-मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना से 25 विद्यार्थियों का विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का सपना होगा साकार
– अनुसूचित जनजाति के 10, अनुसूचित जाति के पांच, पिछड़ा वर्ग के सात और अल्पसंख्यक वर्ग के तीन विद्यार्थी शामिल
अजाद सिपाही संवाददाता
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि अगर आप शिक्षित होंगे, तो आपकी अगली पीढ़ी भी निश्चित तौर पर पढ़ेगी। इसी बात को ध्यान में रख कर शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में नयी शुरूआत कर रहे हैं। इसके तहत कड़ी से कड़ी जोड़ कर व्यवस्था को मजबूत और आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई के प्रति लगाव और उत्सुकता बनी रहे, इसके लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, ताकि, आर्थिक अभाव की वजह से कोई भी प्रतिभावान विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित ना रहे। मुख्यमंत्री शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में आयोजित अभिनंदन समारोह में मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के लिए चयनित 25 प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सीएम फेलोशिप प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की। इस प्रोग्राम के तहत दुनिया के 100 विश्वविद्यालयों में झारखंड के स्कॉलरों को एमफिल और पीएचडी जैसे कोर्स के लिए वित्तीय सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जायेगी।
शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की मुहिम जारी:
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों में हुनर की कोई कमी नहीं है, लेकिन उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिलने से इनकी प्रतिभा गुम हो जाती थी । जब हमारी सरकार बनी, तो हमने इसकी वजहों को जानने का प्रयास किया। इस क्रम में पता चला कि यहां की शिक्षा व्यवस्था एक ताश के पत्ते की तरह है, जो कभी भी धराशायी हो सकती है। यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन हमने इसे स्वीकार किया। शिक्षा के क्षेत्र में रिफॉर्म का सिलसिला शुरू किया। पहले चरण में 80 स्कूल आॅफ एक्सीलेंस खोले गये हैं। मॉडल स्कूल बनाये जा रहे हैं। स्कूलों को संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसका नतीजा है कि आज सरकारी विद्यालयों में बच्चों को बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा मिल रही है।
बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेवारी सरकार ने ले रखी है:
हेमंत सोरेन ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है। हमारा प्रयास है कि बच्चे सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। उनके पठन-पाठन का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। आज बच्चों की प्राइमरी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक का खर्च सरकार दे रही है। इतना ही नहीं, यूपीएससी, जेपीएससी, बैंक और रेलवे जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी और इंजीनियरिंग, मेडिकल और लॉ जैसे कोर्स करने का खर्च सरकार दे रही है। बच्चों से कहना है कि वे पढ़-लिख कर एक अच्छा मुकाम हासिल करें। उनके मुकाम हासिल होने से झारखंड भी गौरवान्वित महसूस करेगा।
प्रतिभावान बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी नहीं बनेगी बाधा:
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिभावान बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी बाधा नहीं बने, इसका सरकार ने संकल्प ले रखा है। झारखंड बोर्ड हो या सीबीएसइ अथवा आइसीएसइ बोर्ड, इनके टॉपरों को सरकार नगद राशि के साथ लैपटॉप दे रही है। इसके अलावा छात्रवृत्ति की राशि बढ़ा दी गयी है। हमारी बच्चियों की पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसके लिए सावित्रीबाइ फुले योजना चलायी जा रही है।
हर क्षेत्र को बेहतर और मजबूत बनाने के लिए हो रहा काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत अचरज की बात है कि देश का 42 प्रतिशत खनिज संसाधन झारखंड में उपलब्ध है। फिर भी इसे देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। इतना ही नहीं, प्रकृति ने झारखंड को धरा के अंदर और बाहर से सजाया-संवारा है। फिर भी यहां के लोग गरीब और पिछड़े हैं। आखिर ऐसा क्यों? दरअसल झारखंड को शुरू से ही उपेक्षित करने का प्रयास किया जाता रहा है, जिसका परिणाम यहां के आदिवासी और मूलवासी को भुगतना पड़ रहा है। हमारी सरकार इससे निपटने की पूरी रणनीति तैयार कर आगे बढ़ रही है। उन चीजों को चिह्नित किया जा रहा है, जिस वजह से झारखंड आगे नहीं बढ़ सका। शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। रोजगार के नये अवसर पैदा हो रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि वह दिन दूर नहीं, जब झारखंड की पहचान एक विशेष राज्य के रूप में पूरे देश-दुनिया में होगी।