कुशीनगर। अमेजन को टक्कर दे रही बहुराष्ट्रीय ई-कामर्स कम्पनी ईबे के वाइस चेयरमैन डेरेक आलगुड की सुबह शाम इन दिनों भारतीय बौद्ध सर्किट के प्रमुख स्थलों का भ्रमण कर रहे हैं। कुशीनगर के बौद्धस्थलों को देख आह्लादित डेरेक ने कहा कि असीम शांति की अनुभूति कर रहे हैं, इसके साथ ही अपने मोबाइल कैमरे में हर एक पल को सहेज भी रहे हैं। डेरेक ने बताया कि बुद्धिज्म को वह बचपन से ही पढ़ते सुनते रहे हैं, आज उसके महत्वपूर्ण स्थल पर आकर गौरवान्वित हूं।

गुरुवार को सुबह डेरेक बुद्ध की जन्मस्थली लुंबनी नेपाल रवाना हो गए। इसके पूर्व के नौ दिन उन्होंने बुद्ध के ज्ञान प्राप्त स्थल बोधगया व प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ में बिताए। कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की 5वीं सदी की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा के समक्ष खुद को पा डेरेक भावविभोर हो गए। फ्री लांसर गाइड शरद उपाध्याय से प्रतिमा की भिन्न-भिन्न मुद्राओं की खूबियां सुन डेरेक ने उसे नजदीक से देख महसूस किया। डेरेक बुद्ध के अंतिम शवदाह स्थल मुकुटबन्धन चैत्य (रामाभार स्तूप) भी गए और बुद्धकालीन पुरावशेषों को भी देखा।

ईबे के वाइस चेयरमैन डेरेक आलगुड बुद्धिज्म को अपने शब्दों में व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्धिज्म के दो घटक विपश्यना व ध्यान जीवन को आसान बनाते हैं, अमेरिका के बहुत सारे लोग इस सूत्र को अपना रहे हैं। डेरेक ऑलगुड 2017 में ईबे में शामिल हुए। इसके पूर्व वह सिटीफोन एशिया पैसिफिक के प्रबंध निदेशक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में ग्लोबल कस्टमर केयर के ग्रुप हेड रह चुके हैं।

यूरोपीय देशों में पहल की जरूरत
डेरेक के भारतीय टूर ट्रैवेल ऑर्गनाइजर ट्रैवेल ओसियन वाराणसी के निदेशक अभिषेक सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या में यूरोपीय देशों के लोग बौद्ध सर्किट में आने के इच्छुक हैं। इसके लिए राजनयिक स्तर पर कैम्पेनिंग की जरूरत है। बौद्ध देशों के साथ-साथ यूरोपीय देशों के पर्यटक आए, इसके लिए सरकार पहल करे।

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