लखनऊ। चंद्रयान मिशन-3 की साफ्ट लैडिंग को देखने के लिए पूरा उत्तर प्रदेश जैसे ठहर सा गया हो, ऐसा नजारा दिखा। स्कूलों में विशेष रूप से टीवी लगाकर चंद्रयान के लैडिंग के विशेष प्रसारण की व्यवस्था की गयी थी। छोटे बच्चे भी इस अद्भुत दृश्य को देखकर उत्साहित रहे। वहीं विश्वविद्यालयों में भी टीवी चैनलों पर विद्यार्थी और अध्यापक एक साथ नजरें लगाए हुए थे।

पूरे प्रदेश में चंद्रयान को देखने के लिए स्कूलों को विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिये गये थे। इस कारण बुधवार की शाम को विद्यालय विशेष रूप से खोले गये थे। स्कूलों में टीवी की व्यवस्था की गयी थी। बच्चे विशेष रूप से इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए उत्सुक दिखे। वहीं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी घंटों पहले टीवी चैनलों पर बैठकर इसकी बारिकियों को समझने का प्रयास कर रहे थे। कई विद्यार्थी नोटबुक लेकर प्रमुख अंशों को नोट करते हुए भी देखे गये।

प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल सिटी मोंटेसरी स्कूल गोमती नगर में पहुंचकर इस चन्द्रमा पर चन्द्रयान-3 के लैण्ड करने की घटना के साक्षी बने। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश अंतरिक्ष की नयी ऊंचाईयों को छू रहा है। चन्द्रमा पर चन्द्रयान-3 के लैण्ड करना हिन्दुस्तान के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

लखनऊ विश्वविद्यालय ने कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय के नेतृत्व में मालवीय सभागार में चंद्रयान मिशन थ्री की सॉफ्ट लैंडिंग का सीधा प्रसारण आयोजित किया। इस प्रसारण के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के सभी शिक्षण सदस्य, शोध छात्र एवं स्नातकोत्तर छात्र उपस्थित थे। सभी संकाय सदस्यों और छात्रों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में इस अत्यंत दुर्लभ लैंडिंग के बारे में नई जानकारी प्राप्त की।
डा शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय,लखनऊ के प्रशासनिक भवन के प्रथम तल स्थित सभागार में भारत के चंद्रयान 3 के चंद्रमा पर लैंडिंग की आनलाइन स्ट्रीमिंग प्रसारण किया गया। भारत के लिए इस ऐतिहासिक उपलब्धि के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राणा कृष्ण पाल सिंह ने बधाई दी।

वहीं चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर लैंडिंग के ऐतिहासिक क्षण का गवाह डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय भी बना। विश्वविद्यालय के सेंटर फार एडवांस स्टडीज के एसएसबी हाल में बड़े से स्क्रीन पर अधिकारियों, शिक्षकों और छात्रों ने चांद पर भारत के पहले कदम को उतरते देखा।

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