विशेष
अलकायदा सरगना की गिरफ्तारी के बाद सामने आया पूरा नेटवर्क
एनआइए और एटीएस की कार्रवाई से खुली घुसपैठ के खतरे की पोल
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
खतरनाक आतंकी संगठन अलकायदा इंडियन सबकांटिनेंट मॉड्यूल के सरगना सहित पांच लोगों की झारखंड से और हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने गये झारखंड के छह लोगों की राजस्थान के भिवाड़ी से गिरफ्तारी के बाद से बांग्लादेशी घुसपैठियों के झारखंड में बसने का खतरा सामने आ गया है। इसके साथ ही यह राज भी खुल गया है कि आंतकी संगठन के लोग कितने प्रभावशाली तरीके से काम करते हैं, क्योंकि इस पूरे नेटवर्क का सरगना रांची का एक डॉक्टर है, जो यहां के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में सेवाएं देता था। डॉ इश्तियाक नामक यह डॉक्टर न केवल अलकायदा मॉड्यूल का नेतृत्व कर रहा था, बल्कि उसकी देश के भीतर खिलाफत की घोषणा करने और गंभीर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की मंशा थी। इस पूरे नेटवर्क के खुलासे के साथ अब यह बात साबित हो गया है कि झारखंड इन आतंकी संगठनों के निशाने पर है, क्योंकि यहां आसानी से घुसपैठ की जा सकती है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब झारखंड में आतंकी संगठनों की मौजूदगी का पता चला है, लेकिन अब यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। यह पुलिस व्यवस्था के खुफिया तंत्र की विफलता का भी प्रतीक है, क्योंकि यह पूरा नेटवर्क एक दिन में तो नहीं ही स्थापित हुआ है। इसलिए अब इस पूरे मुद्दे को राजनीतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि प्रशासनिक और देश की सुरक्षा के नजरिये से देखना जरूरी हो गया है। इस समस्या को समय रहते सख्ती से कुचलने की भी जरूरत है, ताकि झारखंड समेत पूरे देश को खतरे से बचाया जा सके। क्या है इस पूरे आतंकी नेटवर्क की कहानी और क्या है इसके काम करने का तरीका, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
रांची, हजारीबाग और लोहरदगा के 16 स्थानों पर एटीएस, एसटीफ और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के द्वारा की गयी छापामारी और अलकायदा के इंडियन मॉड्यूल का खुलासा किये जाने के बाद यह बात साफ हो गया है कि झारखंड आतंकी संगठनों का पनाहगाह बन गया है। यह आतंकी मॉड्यूल देश के भीतर खिलाफत की घोषणा करने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश में जुटा था। इसे लेकर ही आतंकियों की ट्रेनिंग भी राजस्थान के भिवाड़ी में करायी जा रही थी। जिन 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, वे सभी झारखंड के हैं। इनका सरगना एक डॉक्टर है, जो रांची में रहता है और यहां के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में सेवाएं देता था। इसका नाम डॉ इश्तियाक अहमद है। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने फिलहाल मामले की जांच चलने की बात कही है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें डॉ इश्तियाक अहमद के अलावा मुफ्ती रहमतुल्ला, रिजवान बाबर, मोतीउर रहमान, फैजान और अन्य शामिल हैं। झारखंड में आतंकी संगठनों की मौजूदगी का यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2019 में ही अलकायदा के इंडियन मॉड्यूल की पहली गिरफ्तारी झारखंड के जमशेदपुर से हुई थी। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि झारखंड में अल कायदा का यह मॉड्यूल कई जिलों में नेटवर्क खड़ा कर रहा है।
कौन है डॉ इश्तिायक अहमद
इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड डॉ इश्तियाक अहमद है। उसे रांची के बरियातू इलाके के एके रेसीडेंसी नामक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया। यहां से वह भारत में रहकर अलकायदा मॉड्यूल के जरिये देश के अंदर आतंकी गतिविधि को अंजाम देने के इरादे से संगठन को मजबूत करने को लेकर साजिशें रच रहा था। इसकी जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हुए। डॉ इश्तियाक रांची के मेडिका अस्पताल में बतौर रेडियोलॉजिस्ट काम कर रहा था। इससे पहले वह जमशेदपुर के मानगो थाना अंतर्गत आजाद नगर में रहते हुए वहां प्रैक्टिस करता था। चार वर्ष से वह परिवार के साथ बरियातू के फ्लैट में रह रहा था। डॉ इश्तियाक का हजारीबाग जिले में भी अपना क्लीनिक है। वहीं रांची के लेक व्यू हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन भी इश्तियाक के नाम पर है।
कई शहरों में हमले की साजिश रच रहा था
आतंकी संगठन अलकायदा इंडियन सब कांटिनेंट (एक्यूआइएस) के जिस मॉड्यूल का खुलासा किया गया है, उसने दिल्ली सहित देश के कई शहरों में आतंकी हमले का प्लान रचा था। डॉ इश्तियाक ने इस मॉड्यूल का विस्तार राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक कर लिया था। वह अलकायदा इंडियन सब कांटिनेंट का विस्तार कर इससे युवाओं को जोड़ने, उन्हें कट्टरपंथी बनाने, भारत में शरिया कानून स्थापित करने और बांग्लादेश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे विषयों पर काम कर रहा था।
झारखंड में आतंकियों का ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहता था इश्तियाक
डॉ इश्तियाक अहमद चान्हो जंगल में आतंक का ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहता था। इसके लिए उसने जमीन भी देख ली थी, जिसमें एक मदरसा संचालक मुफ्ती उसकी मदद कर रहा था। इस प्रशिक्षण केंद्र में आतंकियों को हथियार का प्रशिक्षण दिलाया जाना था। उसके लिए हथियारों का जुटान भी किया जा रहा था। डॉ इश्तियाक मुस्लिम युवाओं को बेहतर भविष्य का प्रलोभन देकर अपने जाल में फंसाता था। उसने दो दर्जन से अधिक युवाओं को राजस्थान के आतंकी प्रशिक्षण केंद्र में हथियार चालन का प्रशिक्षण दिलवाया था। उसने बताया है कि आतंकियों की बड़ी फौज तैयार कर देश के भीतर आतंक मचाने के लिए तैयारी चल रही थी। इसके लिए वह पढ़े-लिखे युवाओं को अपने संगठन से जोड़ने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दे रहा था।
झारखंड के इन जिलों में आतंकियों के स्लीपर सेल सक्रिय
यह पहली बार नहीं है, जब झारखंड में आतंकी संगठनों से जुड़े लोग पकड़े गये हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बीते साल अक्टूबर में आइएसआइएस के तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से दो शाहनवाज आलम और रिजवान अशरफ झारखंड के रहने वाले हैं। इनमें से एक शाहनवाज आलम एनआइए का मोस्ट वांटेड था और उस पर तीन लाख रुपये का इनाम घोषित था। वह हजारीबाग शहर के पगमिल-पेलावल का रहने वाला है। एनआइए और एटीएस की जांच में पहले भी यह बात सामने आयी है कि झारखंड के रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, रामगढ़, लोहरदगा, पाकुड़, गढ़वा और गिरिडीह जिले में आतंकियों के स्लीपर सेल सक्रिय हैं।
कैसे बना आतंकी संगठन एक्यूआइएस
अल-कायदा इन इंडियन सब-कांटिनेंट (एक्यूआइएस) की शुरूआत 2014 में पूर्व अल-कायदा चीफ अयमान अल-जवाहिरी ने की थी। पाकिस्तान मूल का असीम उमर इसका शुरूआती सदस्य था। तब अल-जवाहिरी की तरफ से एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें उसने भारत के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों की बात कही थी। अब इसकी अगुवाई ओसामा महमूद कर रहा है, जो पाकिस्तान मूल का बताया जाता है। अमेरिकी-अफगान मिलिट्री आॅपरेशन में उमर मारा गया था। इसके बाद 2019 में महमूद ने इसकी बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा के एक संगठन एक्यूआइएस (अल-कायदा इन इंडियन सब-कांटिनेंट) के दो सौ लड़ाके मौजूद हैं। इनका लीडर आतंकी ओसामा महमूद है। वहीं अफगानिस्तान में इस संगठन के चार सौ लड़ाके हैं। सयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश ने दावा किया है कि एक्यूआइएस क्षेत्र में आइएसआइएस के खोरासान प्रांत (आइसिल-के) से जुड़ने के लिए तैयार है।
भारत में आतंकी संगठन एक्यूआइएस कितना सक्रिय
दिल्ली में 2015 में तीन आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद एक्यूआइएस की भारत में मौजूदगी का पहली बार पता चला था। दिल्ली पुलिस ने बाद में एक्यूआइएस के आतंकी मौलाना अब्दुल रहमान कासमी को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया कि इस आतंकी संगठन ने झारखंड के जंगलों में ट्रेनिंग कैंप बना रखे हैं। जुलाई 2021 में यूपी पुलिस ने अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन अंसार गजवत उल हिंद के 2 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। भारत में अब एक्यूआइएस का कोई बेस नहीं है। पिछले साल लोहरदगा से आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट आफ इराक एंड सीरिया (आइएसआइएस) के आतंकी फैजान उर्फ फैज की गिरफ्तारी हुई थी। 19 साल का फैजान इंटरनेट मीडिया पर लोगों को दहशत फैलाने का प्रशिक्षण दे रहा था। उसके संपर्क आइएसआइएस के विदेशी संचालकों से थे। ये भारत में हिंसक कार्रवाई की योजना बना रहे थे और भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए प्रयासरत थे।
इंटरनेट से एक-दूसरे सेजुड़ते हैं
यह समस्या दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है, क्योंकि वर्तमान में आतंकी संगठन ज्यादातर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं और डिजिटल तरीके से ही एक दूसरे से जुड़ते हैं। इंटरनेट पर इनकी मॉनिटरिंग सुरक्षा एजेंसियों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। आतंकी संगठन डार्क वेब का ज्यादा इस्तेमाल करते है, जहां पर कई तरह के अवरोध होते हैं। ये मैसेज के वक्त भी कोडिंग का इस्तेमाल करते हैं, जिस कारण काफी बारीकी से निगाह रखने पर ही इनके बारे में जानकारी मिल पाती है।
घुसपैठ को रोकना झारखंड की बड़ी चुनौती
आतंकी संगठनों का हब बनने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ भी काफी हद तक जिम्मेदार है। इसे रोकना अब झारखंड के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है, क्योंकि इनके जरिये भी आतंकी गतिविधियां बढ़ सकती हैं। जरूरी है कि इसे लेकर भी सख्त कार्रवाई की जाये।