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    Home»देश»प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन, राष्ट्र प्रथम की प्रतिबद्धता दोहराते हुए रिफॉर्म पर जोर
    देश

    प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन, राष्ट्र प्रथम की प्रतिबद्धता दोहराते हुए रिफॉर्म पर जोर

    SUNIL SINGHBy SUNIL SINGHAugust 15, 2024No Comments5 Mins Read
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    नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को लाल किले की प्राचीर से देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्र प्रथम की अपनी प्रतिबद्धता को आगे रखते हुए पिछले 10 वर्षों में उनकी सरकार की नीति और उससे प्राप्त उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए काम किया जिसका लाभ आज वंचित समाज ले रहा है। उनकी सरकार ने राजनीतिक लाभ न देखते हुए भविष्य से जुड़े रिफॉर्म किये। इन्हीं का परिणाम है कि आज ‘माईबाप’ संस्कृति बदली है और सरकार खुद लाभार्थी तक पहुंच रही है।

    प्रधानमंत्री ने उनकी सरकार के विजन को आगे रखा और देशवासियों को जाति, धर्म के दायरों से ऊपर उठकर देश की प्रगति में योगदान देने की अपील की। उन्होंने समान नागरिक संहिता की बात की, महिलाओं पर हो रही आत्याचार की घटनाओं और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात पर चिंता व्यक्त की। देश के भीतर और बाहर से प्रगति में बाधक बन रही शक्तियों के प्रति देशवासियों का आगाह किया।

    बदलाव के लिए रिफार्म का मार्ग

    प्रधानमंत्री ने तीसरी बार उनकी सरकार को चुनने के लिए जनता का धन्यवाद दिया और कहा कि वे समाज की शक्ति को लेकर विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि विकसित भारत-2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है, देश के कोटि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं। हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे हैं। गरीब हो, मध्यम वर्ग हो, वंचित हो, हमारे नौजवानों के संकल्प और सपने हों या हमारी बढ़ती हुई शहरी आबादी हो, इन सभी के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का मार्ग चुना। वे आज कह सकते हैं कि रिफार्म का हमारा मार्ग आज ग्रोथ का ब्लूप्रिंट बना हुआ है।

    बदनीयत वालों को नेक नीयत से जीतेंगे

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में भीतर और बाहर की चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कुछ निराशावादी तत्वों की गोद में बैठी विकृति विनाश के सपने देख रही है। देश को इन्हें समझना होगा। साथ ही विश्व की शक्तियों को भी समझना होगा कि भारत का विकास किसी के लिए संकट नहीं है। यह शक्तियां संकट पैदा करने वाली तरकीबों से न जुड़े ताकि भारत को आगे निकलने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़े। हम बदनीयत वालों को नेक नीयत से जीतेंगे।

    धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक समान नागरिक संहिता पर जोर देते हुए कहा कि संविधान निर्माताओं ने इसका सपना देखा था और हमें इसे पूरा करना होगा। देश को सांप्रदायिक सिविल कोड के स्थान पर धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड की ओर जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट भी अगल-अलग नागरिक संहिता पर चिंता व्यक्त कर चुका है। देश को इसपर व्यापक चर्चा करनी होगी। धर्म के आधार पर देश को बांटने वाले कानूनों का देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

    पांच में 75 हजार मेडिकल की नई सीटें

    प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि देश के युवा को विदेश जाकर मेडिकल की पढ़ाई न करनी पड़े इसके लिए उनकी सरकार अगले पांच वर्षों में 75 हजार नई मेडिकल सीटें तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा के कौशल विकास पर भारत सरकार विशेष ध्यान दे रही है। उन्हें आश्चर्य होता कि भारतीय युवा मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए कैसे-कैसे देशों में जाते हैं। भारत सरकार चाहती है कि युवाओं को भारत में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।

    बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों पर चिंता

    उन्होंने पड़ोसी देश बांग्लादेश के हालात और वहां हिन्दुओं सहित अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की और जल्द ही वहां स्थिति सामान्य होने का भरोसा जताया।

    देश को जातिवाद और परिवारवाद से ऊपर ले जाने की दिशा में उन्होंने एक लाख बिना किसी पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि के युवाओं से राजनीतिक में आने अपील की। उन्होंने कहा कि इससे देश में नई प्रगति आएगी।

    शासन-प्रशासन में हर स्तर पर रिफार्म की जरूरत

    शासन प्रशासन के हर स्तर पर सुधार की अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने इसके लिए लक्ष्य तय करने को कहा। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन की हर इकाई में सिर्फ दो रिफॉर्म करें। पंचायत स्तर पर भी यही हो। ऐसा करेंगे तो देखते ही देखते लाखों सुधार हो जाएंगे। फिर आम जीवन आसान हो जाएगा। ऐसा हो तो हमारे देश का नौजवान नई ऊंचाइयों को छूएगा।

    महिला अपराध करने वालों को जल्द व कड़ी सजा मिले

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले की प्रचीर से महिलाओं के साथ अत्याचार की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसे पाप करने वालों में डर पैदा करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपराधियों को मिलने वाली कठोर सजाओं को भी व्यापक कवरेज देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश, समाज, राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की शीघ्र जांच हो, इन राक्षसी कृत्यों को अंजाम देने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा मिले- यह समाज में विश्वास पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है।

    देश 2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार हो रहा

    प्रधानमंत्री ने खेलों को प्राथमिकता देने की उनकी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि देश 2036 में विश्व ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार हो रहा है। उन्होंने ओलंपिक खिलाड़ियों को बधाई दी और पैराओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय दल को शुभकामनायें दी।

    अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर चुनावी रिफॉर्म के अपने आग्रह को दोहराया। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव के लिए सभी दलों को आगे आना चाहिए। हर बार कोई योजना लाई जाती है तो उसे किसी चुनाव से जोड़ कर देखा जाता है। ऐसे में हर विषय का राजनीतिकरण होता है। इन चुनावों से देश का बहुत सा संसाधन नष्ट होता है।

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