केंद्र सरकार को लगायी फटकार, कहा
यह देश की सुरक्षा का सवाल है
रांची। हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा शपथ पत्र दाखिल नहीं किये जाने पर कड़ी टिप्पणी की। मौखिक कहा कि देश में घुसपैठ करने वालों के घुस जाने के बाद क्या केंद्र सरकार कार्रवाई करेगी। अभी बांग्लादेश में उथल-पुथल की स्थिति है, वहां राजनीतिक अस्थिरता है। ऐसे में भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए बॉर्डर में बीएसएफ को कड़ी निगरानी करनी पड़ेगी। कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर केंद्रीय गृह सचिव से भी जवाब मांगा जा सकता है और उन्हें कोर्ट में बुलाया जा सकता है। यह देश की सुरक्षा का सवाल है, जो आ रहे हैं उनको रोकिये और जो यहां आकर बसे हैं उनकी पहचान कर उन्हें वापस भेजने की पहल करें।
कोर्ट ने भारत सरकार के इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के डायरेक्टर जनरल, चीफ इलेक्शन कमीशन आॅफ इंडिया और डायरेक्टर जनरल यूनिक आइडेंटिफिकेशन आॅथोरिटी आॅफ इंडिया को प्रतिवादी बनाया है। उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इंटेलिजेंस ब्यूरो से सीलबंद रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश की आलोक में 6 जिलों के उपायुक्त द्वारा जवाब दाखिल नहीं किये जाने पर कोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी जतायी। कोर्ट ने मौखिक कहा कि जब संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिये के आने की बात हो रही है, ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर अब तक जवाब क्यों नहीं आया है।
कोर्ट को बताया गया कि संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिये फर्जी ढंग से आधार कार्ड और वोटर कार्ड बना ले रहे हैं और आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन पर कब्जा कर ले रहे हैं। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक कहा कि सरकार को संताल परगना जैसे इलाकों में औचक निरीक्षण कर लोगों के आधार कार्ड और वोटर कार्ड का सत्यापन करना चाहिए ताकि घुसपैठियों की पहचान हो सके। कोर्ट ने मौखिक कहा कि झारखंड में घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें तुरंत निकालना जरूरी है। अन्यथा और घुसपैठिये झारखंड आते रहेंगे। राज्य सरकार को झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस फोर्स को मजबूत कर घुसपैठियों को रोकन होगा। कोर्ट ने मौखिक कहा की राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को देश और राज्य में घुसपैठ पर मिलकर काम करना होगा। कोर्ट ने मामले के अगली सुनवाई 22 अगस्त निर्धारित की है।
दरअसल, बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई के संबंध में हाइकोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में संताल परगना के 6 जिलों के डीसी को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा था कि संबंधित जिलों के एसपी डाटा उपलब्ध कराने में उपायुक्तों को फीडबैक देंगे। वहीं मुख्य सचिव सबको मॉनिटरिंग करेंगे, लेकिन डीसी के बजाये कनीय अधिकारियों की ओर से दाखिल किया गया था। इस पर कोर्ट ने शपथ पत्र को स्वीकार नहीं किया था। गुरुवार को संतालपरगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण वहां जनसंख्या की स्थिति में कुप्रभाव को लेकर दानियल दानिश की जनहित याचिका की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई।
क्या है याचिका में
प्रार्थी ने याचिका में कहा है कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज झारखंड के बॉर्डर इलाके से बांग्लादेशी घुसपैठिये झारखंड आ रहे हैं। इससे इन जिलों में जनसंख्या में कुप्रभाव पड़ रहा है। इन जिलों में बड़ी संख्या में मदरसा स्थापित किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय ट्राइबल के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है। प्रार्थी ने मांग की है कि इस मामले में भारत सरकार का गृह मंत्रालय रिपोर्ट दाखिल करे और बताये कि झारखंड के बॉर्डर इलाके से कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिये झारखंड आ रहे हैं और उनके द्वारा झारखंड में कैसे लोगों को गुमराह कर वैवाहिक संबंध स्थापित किया जा रहा है।