कोलकाता। पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इस रैकेट का संचालन एक वैध आधार केंद्र की आड़ में किया जा रहा था। गिरफ्तार आरोपितों में शेख मिराज हुसैन और अब्दुल कुद्दूस शामिल हैं। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि इन लोगों ने बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के भी आधार कार्ड बनाए हैं। दोनों को बीरभूम ज़िले में छापेमारी के दौरान पकड़ा गया है। एसटीएफ के एक अधिकारी ने शुक्रवार सुबह बताया कि दोनों को गुरुवार को हिरासत में लिया गया था और लंबी पूछताछ के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास से किया जा रहा था, लेकिन इसमें बीरभूम स्थित एक वैध आधार केंद्र के लैपटॉप का उपयोग हो रहा था।
तकनीकी तरीके से की जा रही थी धोखाधड़ी
गिरोह के सदस्य पहले उस लैपटॉप की मैक-आईडी को नकली तरीके से बदलते थे, जो विशेष रूप से आधार केंद्र के लिए निर्धारित थी। इसके बाद जीपीएस लोकेशन को भी बदलकर यह दिखाया जाता था कि काम बीरभूम से किया जा रहा है, जबकि असल में यह कोलकाता एयरपोर्ट के पास से संचालित हो रहा था।
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, “फिंगरप्रिंट के सत्यापन की प्रक्रिया को भी रिमोट लोकेशन से बदल दिया गया था, ताकि यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) को धोखा दिया जा सके।”
बांग्लादेशी नागरिकों के शामिल होने की आशंका
पुलिस को संदेह है कि इस तकनीक के जरिए बड़ी संख्या में अवैध रूप से भारत में घुसे बांग्लादेशियों को भारतीय आधार कार्ड जारी किए गए होंगे। आरोपितों के कब्जे से कई लैपटॉप जब्त किए गए हैं, जिनकी जांच के बाद यह पता लगाया जाएगा कि अब तक कितने फर्जी आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में बीरभूम के अलावा उत्तर 24 परगना जिले के बिराटी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति की संलिप्तता भी सामने आई है। उनकी तलाश जारी है।
गौरतलब है कि यूआईडीएआई द्वारा प्रत्येक आधार केंद्र को एक विशेष लैपटॉप और मैक-आईडी से जोड़ा जाता है। इसके अलावा, उस केंद्र की सटीक भौगोलिक स्थिति और डेटा एंट्री ऑपरेटर की उंगलियों के निशान भी पंजीकृत होते हैं। इन सुरक्षा उपायों के बावजूद, गिरोह ने तकनीकी छेड़छाड़ कर पूरे सिस्टम को धोखा देकर फर्जी आधार कार्ड बनाने में सफलता पा ली थी। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों का पता लगाने में जुटी है।