नई दिल्ली: भारत में शिक्षक को भगवान के समान का दर्जा दिया जाता है। शिक्षक को दुनिया को बदलने वाला माना जाता है, क्योकिं आज के समय में एक शिक्षक ही है जो छात्रों के जीवन को बदल सकता है। जानकारों का मानना है कि यदि शिक्षक ही गलत जानकारी देगा तो आगामी पीढ़ी गलत दिशा में जा सकती है। इसलिए शिक्षक को हमेशा सही संदेश ही छात्रों को देना चाहिए। ऐसे में इस बातों की अहमियत और भी बढ़ जाती है जब हमारे देश के भविष्य का सवाल होता हैं।
पांच सितंबर का दिन हर साल देश में शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऐसे में आज इस दिन से जुड़ी कुछ खास जानकारी आपको देने जा रहे हैं। दअसल भारत के पहले उप राष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णनन का जन्मदिन हम शिक्षक दिवस यानि टीचर्स डे के तौर पर मनाते हैं। इनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर 1888 को हुआ था।
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इन्होनें भारत की शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया, डॉ. राधा कृष्णनन एक महान शिक्षक और राष्ट्रपति थे। ऐसा कहा जाता है कि उनके विद्यार्थियों ने एक बार उनसे उनका जन्मदिन मनाने के लिए विनती की थी, पर उन्होंने मना कर दिया। डॉ. राधा कृष्णन ने इसका जवाब दिया और कहा कि ‘मेरा जन्मदिन मनाने की जगह तुम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाओगे तो मुझे गर्व महसूस होगा।’ इसके बाद से राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
शिक्षक दिवस देश के लगभग सभी स्कूल और कॉलेज में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन कई शिक्षा संस्थान शिक्षकों को आराम देते हैं और उनके लिए अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करते हैं। एक शिक्षक ही एक बच्चे को विद्यार्थी में बदलता है। वही विद्यार्थी आगे चलकर देश का भविष्य बनता है। डॉ. राधाकृष्णन ने समाज में शिक्षकों और शिक्षा दोनों की महत्वता को समझा है, इसलिए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में 1962 के बाद से मनाया जा रहा है।