नई दिल्ली: नरेन्द्र मोदी सरकार को GST आने के बाद बड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। और यह अग्नि परीक्षा होगी 2018-19 का आम बजट। सरकार का यह आमबजट पूर्ण बजट हो सकता है। क्योंकि 2019 में आम चुनाव हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार का यह आखिरी बजट होगा।
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आगामी 2018-19 के आमबजट के लिए अभी से तैयारी शुरू कर रहा है। देश में जीएसटी आने के बाद सरकार का यह पहला और आखिरी बजट हो सकता है। इसके लिए वित्त मंत्रालय अगले हफ्ते से काम शुरू करने जा रहा है। वित्त मंत्रालय विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए समय-सीमा जारी करेगा। बजट फरवरी 2018 में पेश किया जाएगा है। देश में आजादी के बाद एक कर प्रणाली को लागू कर 70 सालों की कर प्रणाली को खत्म किया गया है।
वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में अप्रत्यक्ष कर राजस्व अनुमान सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर मद में दिखाया गया। जिसके बाद इसका असर साल 2018 के आमबजट में देखने को मिलेगा। यहाँ वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उत्पाद शुल्क और सेवा कर (जीएसटी) के माल एवं सेवा कर में समाहित होने के साथ वर्गीकरण में बदलाव आएगा। जीएसटी से राजस्व के लिए नए वर्गीकरण को अगले वित्त वर्ष के बजट में शामिल किया जाएगा। चालू वर्ष के लिए अकाउंटिंग के अप्रैल-जून के दौरान उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क एवं सेवा कर से प्राप्त राशि और जुलाई-मार्च की अवधि के लिये जीएसटी एवं सीमा शुल्क मद सेट पेश होगा। वहीँ इस आम बजट में जीएसटी के प्रभाव भी देखने को मिलेगा।
मतलब साफ़ है कि मोदी सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए यह एक अग्नि परीक्षा के समान है। माना जा रहा है कि साल 2018-19 का आम बजट की नरेन्द्र मोदी सरकार की दशा और दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
इसके पीछे कारण यह है कि मोदी सरकार का यह जीएसटी लागू होने के बाद पहला और इस सरकार का आखिरी आमबजट होगा। क्योंकि 2019 में आम चुनाव हैं। ऐसे में सरकार को बड़ी मशक्कत करनी होगी।