रांची: एक करोड़ के इनामी भाकपा माओवादी सेंट्रल कमेटी मेंबर सुधाकरण उर्फ सत्याजी बुरियारी संगठन में रह कर व्यापार भी करता है।
रांची पुलिस ने सुधाकरण के बिजनेस पार्टनर सत्यनारायण रेड्डी और उसके सगे छोटे भाई बी नारायण को गिरफ्तार किया है। रांची एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि बुधवार को सूचना मिली थी कि सुधाकरण भारी मात्रा में पैसा और सोना तेलंगाना भेजने वाला है। इन पैसों और सोने को लेने के लिए सुधाकरण के भाई नारायण और पार्टनर सत्यनारायण गुमला आए थे।
गुमला के जंगलों में सुधाकरण से पैसा लेने के बाद रांची रेलवे स्टेशन से दोनों तेलंगाना के लिए निकलने वाले थे। सूचना के आधार पर पुलिस को रांची रेलवे स्टेशन और पटेल चौक के पास तैनात किया गया था। पटेल चौक के पास दोनों पुलिस को देख हड़बड़ा गए। पुलिस ने दोनों को पकड़ा तो दोनों हिन्दी नहीं जानने की बात कह तेलुगू में आपस में बातकरने लगे। पुलिस ने मौके से ही दोनों से कड़ाई से पूछताछ की तो बी नारायण ने खुद को सुधाकरण का छोटा भाई बताया। जबकि सत्यनारायण ने बताया कि वह सुधाकरण का बिजनेस पार्टनर है। सुधाकरण माओवादी संगठन में रहते हुए जहां कहीं भी जाता है, वह वहां जाकर केंदू पत्ता का ठेका करता है। बी नारायणा तेलंगाना के निर्मल जिले के सारंगापुर का रहने वाला है, जबकि सत्यनारायण रेड्डी तेलंगाना के ही मनचेरियल का रहनेवाला है।
दो-दो हजार के नोट में 25 लाख बरामद : एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि जांच के क्रम में नारायण के कंधे से पांच लाख रुपये, नक्सली साहित्य, पैंट के पर्स से 4600 रुपये मिले। वहीं सत्यनारायण के बैग से 20 लाख और आधा किलोग्राम सोना मिला, जिसकी कीमत तकरीबन 14 लाख रुपये है। पूछताछ में सत्यानारायण ने स्वीकार किया है कि गुमला के जंगल में बुलाकर सुधाकरण ने पैसे दिए थे। इन पैसों को व्यापार में निवेश किया जाता है। पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि सुधाकरण के साल 2015 में झारखंड आने के बाद से अब तक वह 3-4 करोड़ तेलंगाना पहुंचा चुका है। आरोपियों की गिरफ्तारी में कोतवाली डीएसपी भोला प्रसाद सिंह, चुटिया थानेदार अनिल कर्ण, तारीक अनवर बलेंद्र और क्यूआरटी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

यूं चलता है माओवादी सुधाकरण का कारोबार
सत्यानारायण ने बताया है कि 90 के दशक से उसकी पहचान सुधाकरण से है। सुधाकरण तब पीडब्लूजी में चेनूरूर दलम का कमांडर हुआ करता था। तब से वह केंदू पत्ता संग्रह का ठेका लेता है। सुधाकरण की मदद से उसे काफी लाभ हुआ। साल 2011 में सुधाकरण का तबादला गढ़चिरौली के तरफ हो गया, तब भी वहां के ठेकेदारों को धमकाकर सत्यनारायण पेट्री कांट्रेक्टर का काम करने लगा। साल 2015-16 में सुधाकरण को सेंट्रल कमेटी मेंबर बनाकर झारखंड भेजा गया। इसके बाद सुधाकरण के प्रभाव से ही सत्यनारायण तेलंगाना, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़िसा और झारखंड में केंदू पत्ता का ठेका लेने लगा। इसके खूब कमायी हुई।

सुधाकरण और उसकी पत्नी दोनों बटोर रहे पैसा
पूछताछ में सत्यनारायण ने खुलासा किया है कि सुधाकरण के साथ उसकी पत्नी माधवी उर्फ नीलीमा भी झारखंड में रह रही। दिसंबर 2015 में नीलीमा बीमारी का बहाना बनाकर उसके घर आयी थी, तब भी उसने 8 लाख रुपये उसे दिए थे। तीन महीना पहले सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलीमा ने 10 लाख रुपये एक सहयोगी के मार्फत भिजवाए थे। सत्यनारायण ने बताया कि सरेंडर कराने के पहले सुधाकरण बड़ी रकम जमा कर लेना चाहता है।

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