हिमालय बचाने को उत्तराखंड में ईको टॉस्क फोर्स की दो कंपनियां गठित होंगी। इसमें 200 पूर्व सैनिकों को भर्ती कर वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण का कार्य कराया जाएगा। हिमालय दिवस पर आयोजित सतत विकास सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने हिमालय संरक्षण के लिए थ्री सी और थ्री पी का मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि थ्री सी यानी केयर, कंजर्व और को-ऑपरेट तथा थ्रीपी यानी प्लान, प्रोड्यूस और प्रमोट के जरिए हिमालय को बचाया जा सकता है। सीएम ने कहा गंगा की परिकल्पना हिमालय के बिना नहीं हो सकती। हिमालय भारत का भाल तो है ही सामरिक दृष्टि से ढाल भी है। हिमालय जीवन के हर सरोकार से जुड़ा है। इसकी चिंता सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि समूचे समाज की है। सीएम ने वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों से रिस्पना नदी को पुराने स्वरूप में लाने की अपील की।
पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि हिमालय के लिए सामुहिक सोच की जरूरत है। हिमालय की संपदा का उपभोग करने वाले राज्यों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। डॉ. जोशी ने कहा कि आने वाले समय में पानी की बोतलों की तरह आक्सीजन बॉक्स की भी जरूरत होगी। इसलिए समय रहते चेतने की जरूरत है। हरिद्वार सांसद डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने समय में गठित हिमनद प्राधिकरण को फिर जिंदा करने की पैरवी की। उन्होंने जल, जंगल, जमीन और जन के समन्वित प्रयास से हिमालय बचाने का सुझाव दिया।
आईएमआई के सचिव सुशील रमोला ने हिमालय को बचाने के लिए सभी पक्षों से मिलकर प्रयास करने को कहा। परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने लोगों को हिमालय को हमालय के तौर पर देखने का आह्वान किया। अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह ने शोध के हवाले से कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से अगले पचास सालों में धरती का तपमान दो डिग्री और बढ़ने का खतरा है। जबकि पिछले दो सौ सालों में तापमान सिर्फ 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है।
डॉ. अनिल जोशी की पुस्तक का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी की पुस्तक हिमालय दिवस का विमोचन भी किया। साथ ही नियोजन विभाग द्वारा राज्य की बेस्ट प्रैक्टिसेज को दर्शाने के लिए बनाई गई वेबसाइट ”ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड” का भी विमोचन किया।