मैसूर। अक्‍सर देखने को म‍िलता है कि सरकारी स्कूलों में बच्‍चे ज्यादा होते हैं मगर श‍िक्षकों की संख्‍या कम होती है। हालांक‍ि मैसूर से 65 क‍िलोमीटर दूर कृष्‍णराज नगर तालुका के प्राइमरी स्कूल में कुछ अलग ही मंजर देखने को म‍िल रहा है। यहां पूरे स्कूल में केवल एक ही छात्रा है, जिसे दो श‍िक्षक म‍िलकर पढ़ा रहे हैं।

येरेमानुगानाहल्‍ली गांव के इस स्कूल में दो टीचर प‍िछले तीन वर्षों से नईमा खान नाम की एक छात्रा को पढ़ा रहे हैं। बता दें कि मैसूर में कई सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, वहीं इस उर्दू मीडियम स्कूल में श‍िक्षक नईमा को उर्दू और कन्‍नड़ पढ़ाकर उसका भव‍िष्‍य संवारने में जुटे हैं।

नईमा में पढ़ने की ललक इस बात से द‍िखती है कि वह हर द‍िन सुबह 9.30 बजे स्‍कूल पढ़ने के ल‍िए पहुंच जाती है। यहां वह 6 घंटे के लिए पढ़ाई करती है। एक खेतिहर मजदूर की बेटी नईमा तीसरी की छात्रा है। स्कूल में उसे टीचर सब‍िया सुल्‍तान उर्दू पढ़ाती हैं, जबकि कन्‍नड़ की श‍िक्षा नागराजू दे रहे हैं।

ग्राम पंचायत के सदस्‍य यासीन शरीफ ने बताया, ‘ इस स्कूल की स्‍थापना 60 साल पहले हुई थी। यहां पहले छात्रों की संख्‍या अध‍िक हुआ करती थी लेकिन धीरे-धीरे लोगों का गांव से पलायन होने लगा और बच्‍चों की संख्‍या घट गई। इतना ही नहीं कई बच्‍चों ने कन्‍नड़ माध्‍यम से पढ़ाई शुरू कर दी, जिससे उर्दू पढ़ने वाले बच्‍चों की संख्‍या कम हो गई।’ यासीन ने बताया कि दलित बहुल 450 लोगों की आबादी वाले इस गांव में 40 मुस्‍ल‍िम पर‍िवार रहते हैं। इलाके की मुस्लिम आबादी को उर्दू की पढ़ाई मुहैया कराने के लिए खुला यह पहला स्कूल था।

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