नई दिल्ली। 2019 के आम चुनाव से पहले बिहार में NDA के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के फॉर्म्युले पर माथापच्ची जारी है। 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे के लिए चार दलों- BJP, JDU, LJP और RLSP में सटीक फॉर्म्युले पर मंथन हो रहा है। ऐसे में बिहार संघर्ष थोड़ा पेचीदा भी हो गया है। दरअसल, जुलाई 2017 में NDA में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाले JDU की वापसी ने तीनों दलों को मजबूर कर दिया है कि वे JDU को समायोजित करने के लिए कुछ सीटें छोड़ दें। यह स्थिति बीजेपी के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के सामने भी है।

खबर है कि बीजेपी इसका समाधान करने के लिए अलग-अलग फॉर्म्युले पर काम कर रही है। बीजेपी दो सीटों का त्याग कर सकती है और LJP को 6, RLSP को 2 सीटें मिल सकती हैं। ऐसी परिस्थिति में JDU को 12 सीटें मिलेंगी। हालांकि यह फॉर्म्युला जेडीयू को शायद ही स्वीकार हो क्योंकि ऐसा लग रहा है कि वह बिहार में NDA का प्रमुख दल बनना चाहती है और ऐसे में वह ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही है।

पहला फेल तो दूसरा क्या?
अब BJP के सामने समस्या यह है कि वह किसी भी हाल में JDU को नाराज नहीं करना चाहती है। अगर फॉर्म्युला नंबर 1 फेल होता है तो बीजेपी को 4 सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इससे बीजेपी के भीतर ही समीकरण गड़बड़ा सकते हैं और कुछ लोग नाराज भी हो सकते हैं। पहला फॉर्म्युला अस्वीकार करने पर JDU को दूसरे फॉर्म्युले का ऑफर दिया जा सकता है।

RLSP बाहर तो क्या होगा?
अगर RLSP एनडीए से बाहर होती है तो बीजेपी को केवल एक सीट का त्याग करना होगा। हालांकि संभावना इस बात की भी जताई जा रही है कि अगर अलायंस में पार्टियां कम हुईं तो जेडीयू और भी ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है। इस फॉर्म्युले के तहत बीजेपी को अपने सहयोगियों JDU और LJP के बीच संयुक्त रूप से 20 सीटें देनी होंगी। आगे इन दोनों पार्टियों पर होगा कि वे इसे किस तरह से बांटती हैं। ऐसा करना संभव भी दिखता है क्योंकि नीतीश कुमार के राम विलास पासवान से अच्छे संबंध हैं। हालांकि RLSP से डील करना बीजेपी के लिए आसान काम नहीं होगा, जो लोकसभा में ज्यादा सीटें चाहती हैं। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में NDA के तहत RLSP को केवल तीन सीटें मिली थीं।

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