रांची। फर्जी शराब तस्करी मामले में सिटी एसपी की पर्यवेक्षण रिपोर्ट में हटिया डीएसपी विनोद रवानी पूरी तरह षडयंत्र रचने के दोषी पाये गये हैं। इस रिपोर्ट के आलोक में उनके खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है। उन्हें कभी भी लाइन हाजिर किया जा सकता है। मामले में डीआइजी अमोल वेणुकांत होमकर ने रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता को कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारियों ने बताया कि जल्द ही हटिया डीएसपी को गलत सुरपविजन कर निर्दोष लोगों को जेल भेजने के आरोप में लाइन हाजिर कर कार्रवाई की जायेगी। बता दें कि पूर्व में ही तीन थानेदारों को इस मामले में लाइन हाजिर किया गया है। हटिया डीएसपी विनोद रवानी की सुपरविजन या नेतृत्व में जुटाये गये सारे साक्ष्य सिटी एसपी की सुपरविजन में तथ्य से परे निकले हैं।

ऐसा कोई भी साक्ष्य यह तय नहीं कर पाया कि धुर्वा थाना इलाके से पकड़ी गई शराब की खेप तस्करी कर बिहार ले जायी जा रही थी। जेल भेजे गये दोनों अभियुक्तों के खिलाफ पेश किये गये साक्ष्य भी झूठ का पुलिंदा साबित हो गये हैं। विवाद सामने आने के बाद सिटी एसपी ने सदर डीएसपी दीपक पांडेय को मामले में जांच करने का आदेश दिया था। पर्यवेक्षण टिप्पणी के आधार पर केस के अनुसंधानकर्ता सदर डीएसपी दीपक कुमार पांडेय ने कोर्ट को प्रतिवेदन समर्पित कर दिया है। सिटी एसपी अमन कुमार ने अपनी पर्यवेक्षण रिपोर्ट डीआइजी समेत एसएसपी और केस के नियुक्त अनुसंधानकर्ता सदर डीएसपी दीपक कुमार पांडेय को सौंप दी है। इसके आधार पर एसएसपी ने भी एक जांच रिपोर्ट तैयार कर डीआइजी को सौंपी है और हटिया डीएसपी पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। इस रिपोर्ट को गुरुवार को डीआइजी के माध्यम से मुख्यालय को सौंप दिया गया है। वहां से रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी जायेगी।

पुलिस ने खड़ी कार उठाकर रख दी थी शराब : हटिया डीएसपी के नेतृत्व में शराब तस्करी की झूठी कहानी रच कर दो युवकों को चोरी की गाड़ियों में शराब के साथ रंगे हाथ गिरफ्तारी दिखाकर 31 अगस्त को जेल भेज दिया गया था। इसमें हटिया डीएसपी विनोद रवानी ने अधिकारियों को सूचना दी थी कि एक सफारी (जेएच-05एच-1441) और एक मारुति कार (जेएच-11ए-4495) से दो शराब तस्कर पकड़े गये हैं। दावा किया गया कि धुर्वा स्थित शालीमार मार्केट से बिहार के लिए चली गाडिय़ां जब्त की गयी हैं। इसके विपरीत दोनों गाड़िय़ां डोरंडा के पत्थल रोड के बगल में एक घर के सामने से उठायी गयी थीं। पुलिस इसे क्रेन से उठवा कर चुपचाप ले गयी थी। इस मामले में दो निर्दोषों को भी जेल भेज दिया गया है।

डीएसपी ने बिना बैट्री वाली कार को दिखाया चलती कार : यह पूरा माजरा मोहल्ले में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। वाहन मालिकों के मुताबिक दोनों गाड़ियां घर के बाहर लंबे समय से मरम्मत के लिए खड़ी थीं। सफारी में बैटरी भी नहीं थी, फिर भी डीएसपी ने चलती कार दिखाकर उसमें शराब लादकर भेजने की कहानी रच दी थी। इस पूरी कहानी को सच बनाकर एक प्रेसवार्ता भी करायी थी। इसमें सिटी एसपी को मोहरा बना दिया गया था, जबकि उन्हें जालसाजी की जानकारी तक नहीं थी। इस प्रकरण का सच वाहन मालिकों के सामने आने के बाद सामने आया था।

हटाये गये थे तीन थानेदार : मामले में एसएसपी ने कार्रवाई करते हुए धुर्वा थानेदार तालकेश्वर राम, तुपुदाना थानेदार प्रकाश कुमार और डोरंडा थानेदार आबिद खान को लाइन हाजिर कर दिया था। वहीं अब डीएसपी को भी हटाने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है। एसएसपी ने इस पूरे प्रकरण की सुपरविजन की जिम्मेवारी सिटी एसपी अमन कुमार को दी थी। सदर डीएसपी दीपक कुमार पांडेय को केस के अनुसंधानकर्ता बनाया गया था। आगे के अनुसंधान की जिम्मेवारी सदर डीएसपी के जिम्मे ही होगी।

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