रांची। नक्सलियों के सफाये के लिए राज्य और केंद्र सरकार अब निर्णायक जंग की तैयारी में हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर सीमावर्ती राज्यों की लगातार बैठकें होती रही हैं। अब पूर्वी भारत में पूरी तरह से नक्सलियों के सफाये के लिए पुलिस प्रशासन ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसे लेकर शुक्रवार को पूर्वी भारत के पांच राज्यों के पुलिस अधिकारी रांची में एक संग बैठे। नक्सलियों के सफाये को लेकर पूरे दिन मंथन हुआ। झारखंड के साथ पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और बिहार की पुलिस नक्सलियों को जड़ से खत्म करने में जुटी है। इसी को लेकर राजधानी रांची में इस्टर्न जोन रीजनल कोआॅर्डिनेशन कमेटी की बैठक हुई। इसमें पांचों राज्यों के आला अफसरों ने भाग लिया।

नक्सलियों के गढ़ में चलेगा अभियान : झारखंड पुलिस भाकपा माओवादियों के गढ़ बूढ़ा पहाड़, सारंडा और पारसनाथ में एक साथ बड़ा अभियान चलाने की रणनीति पर काम कर रही है। इस रणनीति को सफल बनाने के लिए उसे बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और छत्तीसगढ़ पुलिस की सहायता की जरूरत है। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने झारखंड में जनवरी से जून महीना तक चले नक्सल अभियान की समीक्षा के बाद माओवादियों के तीन प्रमुख गढ़ों में एक साथ अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसमें राज्य के शीर्ष नक्सलियों को टारगेट किया जायेगा। ऐसे में यह बैठक झारखंड पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

बैठक में ये रहे शामिल : झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, सीआरपीएफ, एसएसबी, आइबी, इडी एवं झारखंड पुलिस के वरीय पुलिस पदाधिकारियों ने भाग लिया। इसके अलावा झारखंड के अजय कुमार सिंह, रेल डीआइजी प्रशांत सिंह, झारखंड के आरके मल्लिक, डीआइजी नवीन कुमार सिंह, आशीष बत्रा, अरुण कुमार सिंह, शंभू ठाकुर, डॉन के जोश, रंजीत कुमार सिंह, अमोल वेणुकांत होमकर, प्रभात कुमार, पंकज कंबोज, विपुल कुमार शुक्ला, राज कुमार लकड़ा, कुलदीप द्विवेदी, अखिलेश कुमार झा, साकेत कुमार सिंह, एसएस मिश्रा, पी मुरूगन, सुबोध कुमार, डॉ शम्स तबरेज, मो अर्शी, राजू थॉमस, कुलदीप सिंह समेत अन्य शामिल थे। नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक अभियान के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय का कहना है कि अब नक्सलियों के दिन लद गये हैं। अब उन्हें भागने की जगह नहीं मिलेगी।

संयुक्त नक्सल अभियान चलाने की जरूरत: डीजीपी
डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि सूचनाओं का आदान-प्रदान करना जरूरी है। सीमावर्ती राज्यों की पुलिस के साथ आपसी सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों पर शिकंजा कसने के लिए संयुक्त नक्सल-अभियान चलाया जाये। नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के अलावा अफीम की अवैध खेती, साइबर अपराध एवं संगठित अपराध पर रोक लगानी है। इसके लिए अंतरराज्यीय समन्वय होना चाहिए। साइबर क्राइम पर रोक के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध सिम की बिक्री पर रोक लगानी होगी। पूर्वी क्षेत्रीय पुलिस समन्वय समिति की तरह ही उन्होंने पूर्वी क्षेत्रीय साइबर क्राइम समन्वय समिति की बैठक करने का सुझाव दिया। झारखंड पुलिस द्वारा चलाये जा रहे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्लान की भी जानकारी दी। उन्होंने नक्सलियों पर असरदार प्रहार के लिए टैक्टिकल चेंज का सुझाव भी दिया। उन्होंने सीमावर्ती राज्यों के पुलिस पदाधिकारियों की नियमित बैठक का भी सुझाव दिया। साथ ही अगली बैठक दिसंबर के प्रथम सप्ताह में कोलकाता पुलिस द्वारा आयोजित करने का सुझाव दिया।

ये निर्णय भी लिये गये : बैठक में कई निर्णय लिये गये। इनमें सभी सीमावर्ती राज्यों द्वारा आपसी समन्वय कर अंतरराज्यीय उग्रवादियों के विरुद्ध संयुक्त एवं आक्रामक अभियान चलाया जायेगा। खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान, होगा। अंतरराज्यीय अपराधी गिरोहों के साथ बैंक एवं ज्वेलरी शॉप में डकैती में शामिल अपराधियों की जानकारी के साथ इन्हें गिरफ्तार करने में राज्य एक दूसरे की सहायता करेंगे। इस बैठक में खुफिया अभियान की जानकारी शेयर करने तथा साइबर क्राइम के क्षेत्र में संयुक्त कार्रवाई पर विचार मंथन हुआ। इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में नाका लगाकर शराब एवं मादक द्रव्यों की तस्करी पर रोक लगाने पर विचार किया गया।

इन्होंने भी दिये सुझाव : बैठक में मध्य जोन, कोलकाता के विशेष पुलिस महानिदेशक कुलदीप सिंह, विधि-व्यवस्था बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक आलोक राज, छत्तीसगढ़ के हिमांशु गुप्ता, पश्चिम बंगाल के राजीव मिश्रा, सीआरपीएफ के डीआइजी संजय आनंद लाठकर, बिहार के संजय कुमार, सीआइएसएफ के अनिल कुमार, इडी के सुबोध कुमार ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।

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