• ल्लबाबूलाल मरांडी, सुबोधकांत सहाय, बंधु तिर्की भी पहुंचे, सरकार की शिक्षा नीति की जम कर आलोचना की

रांची। एक तरफ राज्य भर में शिक्षक दिवस को लेकर उत्साह चरम पर रहा। वहीं दुर्भाग्य यह रहा कि वित्तरहित शिक्षक राजभवन के सामने धरने पर बैठे रहे। समय पर अनुदान नहीं मिलने के कारण शिक्षक दिवस के दिन शिक्षा विभाग से अनुदान देने को लेकर विनती कर रहे थे। इसके साथ ही विभाग के प्रधान सचिव को हटाने की मांग भी कर रहे थे। वित्त रहित शिक्षकों के धरना में झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की भी पहुंचे। उन्होंने सरकार की शिक्षा नीति की आलोचना की। कहा कि शिक्षक दिवस के दिन शिक्षक सड़क पर हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता है। झारखंड सरकार वित्तरहित शिक्षकों को सम्मान तो दूर, इनका अनुदान भी बंद करने पर तुली है। राज्य की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गयी है। स्कूल खोलने के लिए बजाये यह सरकार स्कूल को बंद करने में लगी हुई है। इस सरकार से उम्मीद भी बेमानी है।

शिक्षक नेता रघुनाथ सिंह, सुरेंद्र झा ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से शिक्षकों से सम्मान पूर्वक बात करने की विनती भी की। कहा कि राज्य के शिक्षा विभाग की स्थिति ठीक नहीं है। शिक्षकों से दुर्व्यवहार तो होता ही है, नीति संगत निर्णय भी कुछ दिनों से नहीं लिये जा रहे हैं। इसके कारण वित्तरहित शिक्षण संस्थानों की स्थिति दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है। अभी भी अगर सरकार नहीं चेती, तो आने वाले समय में शिक्षक उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे। इस संदर्भ में पूछे जाने पर शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा कि हर मांग पूरी नहीं की जा
सकती है।

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