रांची. रांची में ये कैसी स्मार्ट सिटी बन रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करने वाले शहरों की सूची में टॉप पर रहने वाली रांची सिर्फ कागजी आंकड़ों में टॉप पर रह गई है। क्योंकि, रांची स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन में पिछले 5 माह से स्थाई सीईओ नहीं हैं। सीईओ की कुर्सी प्रभार के भरोसे चल रही है।
पिछले पांच माह में धुर्वा में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी में एक ईंट भी नहीं जोड़ा
नगर विकास विभाग के नगरीय निदेशक आशिष सिंहमार को सीईओ का प्रभार दिया गया है। इस वजह से पिछले 5 माह से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर एक भी काम नहीं हो रहा है। स्मार्ट सिटी में लैंड अलॉटमेंट के लिए बनी पॉलिसी का ड्राफ्ट पूर्व सीईओ ने तैयार कराया था, वह आगे नहीं बढ़ा। स्मार्ट सिटी फेस्ट कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया। पिछले पांच माह में धुर्वा में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी में एक ईंट भी नहीं जोड़ा गया। इसके बावजूद नगर विकास विभाग ने सिटी बस चलाने की जिम्मेवारी कॉर्पोरेशन को देने की घोषणा कर दी है। अर्बन ट्रांसपोर्ट के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) के रूप में जुटकोल का गठन किया गया था, लेकिन उसे भी सिटी बस चलाने से दूर रखा गया है।
स्थाई सीईओ रखना अनिवार्य, फिर भी नहीं हुई नियुक्ति : शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए चयनित शहरों के लिए स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन बनाने और स्थाई सीईओ की बहाली करना अनिवार्य किया है। विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का अनुभव रखने वाले बाहरी लोगों की बहाली करने का प्रावधान किया गया है, ताकि काम में तेजी आए। लेकिन, रांची में यह परंपरा टूट गई।
अफसरों से परेशान होकर सीईओ ने दिया था इस्तीफा : स्थाई सीईओ की बहाली पिछले वर्ष अक्टूबर में हुई थी। मात्र 6 माह काम करने के बाद सीईओ यतिन सुमन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि, नगर विकास विभाग के वरीय अधिकारियों के अधिक हस्तक्षेप से वे परेशान थे। अधिकारी भी बाहरी व्यक्ति के सिस्टम में आ जाने से परेशान थे। इसके बाद नए सीईओ की बहाली के लिए आवेदन भी नहीं मांगा गया। नगरीय प्रशासन निदेशक को सीईओ का प्रभार दे दिया गया। अब पूरा सिस्टम प्रभार के भरोसे चल रहा है।
जो कॉर्पोरेशन स्मार्ट सिटी की जमीन की घेराबंदी नहीं करा सका, उसे दी जा रही बस चलाने की जिम्मेवारी : स्मार्ट सिटी के लिए एचईसी से 656 एकड़ जमीन का आवंटन किया गया है। स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन को जमीन की घेराबंदी करानी थी, लेकिन आज तक घेराबंदी नहीं हुई। स्मार्ट सिटी के नाम पर वहां बन रही बिल्डिंग को दिखाया जाता है। धुर्वा में झारखंड अर्बन प्लानिंग मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (जुप्मी), अर्बन टॉवर और सिविक सेंटर बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है। मंत्री से लेकर अधिकारी तक इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बताकर वाहवाही लूट रहे हैं। सच्चाई यह है कि स्मार्ट सिटी से पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। जुडको द्वारा तीनों बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा है। कॉर्पोरेशन ने आज तक एक भी प्रोजेक्ट की शुरुआत नहीं की। सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम लगाने पर काम शुरू हुआ, लेकिन वह भी विवादों में फंस गया। ऐसे में स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन से सिटी बस चलवाना कई सवाल खड़ा करता है।
उपराष्ट्रपति ने किया था भूमि पूजन
9 सितंबर 2017 को उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू ने स्मार्ट सिटी का भूमि पूजन और आर्बन टाॅवर, सििवक सेंटर व जुप्मी बिल्डिंग का शिलान्यास किया था।
मंत्री-अफसर लूट रहे वाहवाही : धुर्वा में झारखंड अर्बन प्लानिंग मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, अर्बन टॉवर और सिविक सेंटर बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है। मंत्री से लेकर अधिकारी तक इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बताकर वाहवाही लूट रहे हैं।
ट्रैफिक-सफाई बड़ी समस्या, ईको टूरिज्म व एजुकेशन में संभावनाएं : स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने हो रही समस्याओं को दूर करने के लिए रांची पहुंची ब्रिटेन की एक्सपर्ट की टीम ने गुरुवार को कई स्तर पर बैठक की। सबसे पहले रांची नगर निगम और स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के साथ बैठक कर रांची की स्थिति की जानकारियां ली। निगम सभाकक्ष में हुई बैठक में टीम के सदस्यों ने मेयर, डिप्टी मेयर सहित पदाधिकारियों से कई सवाल पूछे। राजधानी के विकास की चुनौती और भविष्य की संभावनाओं को जाना। चुनौतियों से निपटने के उपायों की भी जानकारी ली। कई स्तर पर मंत्रणा करने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने नगर विकास सचिव अजय सिंह के साथ बैठक की।
सचिव ने भी माना ट्रैफिक मैनेजमेंट सबसे बड़ी चुनौती : नगर विकास सचिव ने प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के दौरान कहा कि राजधानी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ट्रैफिक का मैनेजमेंट करना है। इसके लिए नगर विकास विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। लेकिन, इसमें सफलता नहीं मिल रही है। इसलिए, इस क्षेत्र में तकनीकी सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में योजनाबद्ध तरीके से किसी भी शहर का विकास नहीं हुआ है। क्योंकि, एक साथ कहीं भी जमीन का बड़ा टुकड़ा नहीं मिलता।
ब्रिटेन की टीम ने बताईं खामियां और संभावनाएं : खामियां : टीम के सदस्यों ने बताया कि राजधानी की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक, साफ-सफाई, सीवरेज-ड्रेनेज, पब्लिक पार्टिसिपेंट और बिहेवियर चेंज की है। क्योंकि, लोग अपनी आदत बदलना नहीं चाहते।
संभावानाएं: टीम ने कहा कि भविष्य में रांची में विकास की काफी संभावनाएं हैं। इसमें इको टूरिज्म, एजुकेशनल हब, स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और फूड प्रोसेसिंग सेंटर पर काम किया जा सकता है।
संभावनाओं के लिए जरूरी : टीम के सदस्यों ने बताया कि निगम को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने की भी जरूरत है, ताकि नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। कहा कि जल्द ही वे सभी मुद्दों का मूल्यांकन करके रिपोर्ट देंगे। मालूम हो कि देश के छह स्मार्ट शहरों को इंगलैंड के अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग की एजेंसी डिलाइट टेक्नीकल अस्सिटेंट उपलब्ध कराएगी।
विश्व के टॉप 200 की सूची में शामिल यूनिवर्सिटी को स्मार्ट सिटी में प्राथमिकता : सचिव ने कहा कि धुर्वा में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी को एजुकेशनल हब के रूप में विकसित करने की योजना है। एजुकेशनल इंस्टीट्यूट अधिक से अधिक आ सके, इसके लिए नियमों को काफी फ्रेंडली बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के टॉप 200 विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल संस्थानों को स्मार्ट सिटी के अंदर विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।