अजय शर्मा
रांची। झारखंड में कोयला तस्करी में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का मन सरकार ने बना लिया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कोयला तस्करी पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। सीएम ने आदेश दिया है कि जो पुलिसकर्मी या अधिकारी इसमें शामिल हैं, उनकी सूची तैयार की जाये। वैसे पुलिसकर्मियों को फील्ड से हटाया जायेगा। कुछ पर निलंबन की भी कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद मुख्य सचिव डीके तिवारी ने शुक्रवार को आला पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलायी। इसमें सीआइडी के एडीजीपी अनुराग गुप्ता को निर्देश दिया गया कि वे सप्ताह भर के अंदर ऐसे पुलिसकर्मी की सूची तैयार करें, जो इस अवैध धंधे में सीधे शामिल हैं। एडीजीपी ने राज्य के सभी जिला की सीआइडी टीम के अधिकारियों को तुरंत सूची तैयार करने को कहा है। सीआइडी इस संबंध में अपनी रिपोर्ट गृह सचिव सुखदेव सिंह को सौंपेगी। वे सीएम को रिपोर्ट देंगे। बैठक में डीजीपी केएन चौबे, गृह सचिव सुखदेव सिंह सहित कई आला अधिकारी उपस्थित थे। बता दें कि विशेष शाखा भी कोयला तस्करी पर े रिपोर्ट तैयार कर रही है।
क्या है आदेश
पूरे राज्य में कोयला तस्करी में शामिल पुलिस अधिकारी दूसरे विभाग सीसीएल, बीसीसीएल, खनन विभाग, वन विभाग के अधिकारी या कर्मचारी अगर शामिल हैं, तो उन पर भी रिपोर्ट देनी है। साथ ही संबंधित इलाके के तस्करों का नाम भी भेजने को कहा गया है। आदेश में जामताड़ा जिले का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि जामताड़ा में होनेवाली तस्करी पर रोक लगाने के अलावा तुरंत कार्रवाई की जाये। बंगाल के कोयला तस्करों की सूची भी तैयार करने को कहा गया है।
कहां-कहां से हो रही है तस्करी
हजारीबाग, रामगढ़, चतरा, बोकारो, धनबाद, जामताड़ा, रांची के कुछ इलाके से कोयले की तस्करी हो रही है। कुछ इलाकों में बड़े पैमाने पर कोयला तस्करी की तैयारी भी की गयी है। आजाद सिपाही ने इन दोनों मामलों को मुद्दे के तौर पर उठाया। इसके बाद सरकार के स्तर से पूरे मामले की जांच कराने का आदेश हुआ। कोयलांचल में सीसीएल की बंद पड़ी खदानों से भी तस्करी हो रही है। तस्करी का एक बड़ा रैकेट पुलिस अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। सीसीएल की आम्रपाली, मगध, पिपरवार की चार कोलियरियां, हजारीबाग के करीब आधा दर्जन थाना क्षेत्रों में कोयले की तस्करी हो रही है। सीसीएल की कोयला खदानों से रेलवे साइडिंग में कोयला जाने की बजाय बनारस की मंडियों में भेजा जा रहा है।
अवैध ट्रैक्टर का उपयोग
कोयला तस्करों ने तस्करी के लिए चोरी के ट्रैक्टर और ट्रक का उपयोग शुरू किया है। जब कोयला लदे इन वाहनों को पकड़ा जाता है, तब उसका कोई दावेदार सामने नहीं आता। जांच होने पर पता चलता है कि ये वाहन ओड़िशा या बंगाल से चोरी किये गये थे। वहां चोरी का मामला स्थानीय थाने में दर्ज मिलता है। पुलिस अधिकारियों ने ही तस्करों को यह आइडिया दिया था कि वे चोरी के वाहन का उपयोग कोयला तस्करी में करें।
मिलती है मोटी रकम
तस्करी से होनेवाली आय में एक बड़ा हिस्सा पुलिस अधिकारियों को जाता है। साथ ही, इलाके के प्रभावशाली व्यक्ति भी इसके हिस्सेदार होते हैं। कई इलाकों में तो पत्रकारों को भी हिस्सा पहुंचता है। मगध और आम्रपाली परियोजना में टेरर फंडिंग की जांच एनआइए कर रही है। इस जांच में झारखंड के बड़े पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आये हैं। एनआइए को एक डायरी मिली है, जिसमें पुलिस अफसरों के नाम हैं। नक्सलियों, कोयला तस्करों के अलावा पुलिस अधिकारियों से भी इस मामले में पूछताछ हो सकती है। इस बीच सरकार ने नये सिरे से तस्करी में शामिल पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार करने का आदेश दिया है।
कोयला तस्करी में लिप्त पुलिसकर्मियों पर होगी कार्रवाई
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