अजय शर्मा

रांची।  झारखंड के डीजीपी केएन चौबे कोयला तस्करी रोकने, बेहतर लॉ एंड आॅर्डर, सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाये रखने और आपराधिक गिरोह को चुनौती के रूप में लेते हैं। अपने योगदान के बाद इन चार फ्रंटों पर विशेष तौर पर काम कर रहे हैं। डीजीपी की पहल से कई बड़े अपराधी पकड़े गये, वहीं नक्सलियों को पीछे भी हटना पड़ा। मंगलवार को आजाद सिपाही ने उनसे लंबी बात की। डीजीपी ने कहा कि नक्सली अब थोड़े संख्या में बचे हैं। उन्हें पूरी तरह से समाप्त करना चुनौती है। इनके बड़े नेताओं को पकड़ना है। ग्रामीणों को बताना है कि बड़े नेताओं के पास अकूत संपत्ति है और उनके बच्चे बड़े स्कूलों में पढ़ते हैं। खामियाजा तो ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है, जो माओवाद में शामिल हैं। उनके बच्चे पढ़ भी नहीं पा रहे हैं।

तस्करी रोकने के लिए सभी को पहल करनी होगी

डीजीपी ने कहा कि सरकार विकास के कार्य कर रही है। स्कूल, स्वास्थ्य समेत सभी दिशा में काम हो रहा है। ग्रामीणों को भी अब नक्सलियों का साथ नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अवैध उत्खनन पर रोक लगाना भी चुनौती है। इसके लिए कोल कंपनी, खनन विभाग, कुछ पत्रकारों को भी सोचना होगा।  सभी को ईमानदारी से पहल करनी होगी।

सांप्रदायिक माहौल बेहतर बनायेंगे

डीजीपी झारखंड के सांप्रदायिक माहौल को और मधुर बनाने की दिशा में भी कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी एसपी कोे इसके लिए निर्देश दे दिये गये हैं। चौथी चुनौती विकास योजनाओं में अपराध है। उनका मानना है कि जब विकास की गंगोत्री बहती है, तब छोटे-छोटे गैंग सक्रिय होते हैं। उस पर भी तेजी से काम हो रहा है। उनके मुताबिक झारखंड के नक्सलग्रस्त इलाकों के थानों को और मजबूत करने की जरूरत है। इस पर भी काम किया जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि ईमानदार अफसरों की तैनाती जरूरी नहीं है क्या, इस पर उनका जवाब था-यह भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि नक्सलग्रस्त इलाकों के लोग जो सपने देखते हैं, उसे सरकार पूरा कर रही है। अब वे विकास की मुख्यधारा से जुड़े हैं। पुलिस सुरक्षा देने को तैयार है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version