नई दिल्ली: अमेरिका के अफगानिस्तान में तालिबान से बातचीत नहीं करने के फैसले को पाकिस्तान के लिए एक और मोर्चे पर बड़ा झटका माना जा रहा है। भारत समेत इस क्षेत्र के अन्य देशों के लिए यह राहत भरी खबर है। भारत का मानना है कि इस बातचीत के टूटने के बाद इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व आएगा। इस बातचीत के खत्म होने के बाद पाकिस्तान के जिहादी मंसूबे पर भी पानी फिर गया है।
भारत और अफगानिस्तान समेत इस क्षेत्र के कई देशों का मानना था कि तालिबान संग बातचीत सही नहीं है। हालांकि रूस तालिबान से बातचीत का पक्षधर रहा है और उसने फरवरी और मई में दो बैठकें भी की थीं। रूस का मानना था कि ISIS को अफगानिस्तान से बाहर रखने के लिए वार्ता जरूरी है।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने तालिबान संग वार्ता से पीछे हटने की वजह गुरुवार को काबुल में हुए एक तालिबान हमले को बताई है जिसमें एक अमेरिकी सैनिक समेत 12 लोग मारे गए। इस बातीचत में इस सप्ताहांत मैरीलैंड के कैंप डेविड में तालिबान के साथ होने वाली गुप्त बैठक भी शामिल थी। हालांकि, तालिबान ने अपने बयान में ट्रंप द्वारा बताई गई वजह को खारिज कर दिया और कहा कि उसमें न तो अनुभव और न ही धैर्य झलकता है।