अजय शर्मा
रांची। टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू को चतरा पुलिस खोज रही है। पिपरवार पुलिस की टीम ने इसके लिए कई इलाकों में जानकारी भी हासिल की, लेकिन सच यह है कि ब्रजेश गंझू चतरा के ही एक सीआरपीएफ कैंप में है। जब-जब ब्रजेश गंझू पर दबाव बढ़ता है, वह कैंप में जाकर छिप जाता है। टीपीसी के नक्सलियों के खिलाफ पिपरवार थाना में मामला दर्ज हुआ है। मगध और आम्रपाली की तरह यहां भी नक्सलियों से मिलकर कोयला व्यवसायी और ट्रांसपोर्टरों से प्रतिटन 257 रुपये की वसूली की जा रही थी। इस वसूली का खुलासा 22 जुलाई को आजाद सिपाही ने किया था। इसके बाद पिपरवार में छापेमारी की गयी। इस मामले में 77 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। 14 सितंबर को चतरा के एसपी अखिलेश वी वारियार के नेतृत्व में दो डीएसपी की टीम गठित की गयी थी। पुलिस ने उस समय लेवी के तीन लाख से अधिक नकद और ढेर सारे पासबुक जब्त किये थे। सीसीएल के अफसरों को भी इसमें आरोपी बनाया गया है।
इन पर एफआइआर
पिपरवार में अवैध वसूली, टीपीसी, पुलिस के कुछ बड़े अफसर की मिलीभगत से हो रही है। इस मामले में पिपरवार परियोजना के माइनिंग सरदार अनिल चौबे, सीसीएल के सेल्स इंचार्ज दीपक कुमार, नरेंद्र पांडेय, टी सिंह ये तीनों कांटाघर के कर्मचारी, दूसरे सेल्स इंचार्ज एसके सिंह, सेवा सिंह, टीकेश्वर महतो, केके सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा ब्रजेश गंझू उर्फ गोपाल सिंह भोक्ता, भीखन गंझू, आक्रमण, आनंद, सौरभ, मुकेश गंझू और बबलू सागर मुंडा को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में पुलिस अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अन्य की तलाश जारी है।
क्या है खेल
झारखंड के अलग-अलग कोलियरियों में कहीं दबंग कमेटी, तो कहीं किसी और कमेटी के नाम से पैसे की उगाही की जाती है। टीपीसी का दबदबा मगध और आम्रपाली टंडवा थाना क्षेत्र में है। वहीं, पिपरवार की तीन अलग-अलग कोलियरियों में भी कमेटी बनाकर वसूली की जा रही है। वसूले गये रकम का बंटवारा सीसीएल के अधिकारी, वन विभाग के अधिकारी, खनन विभाग, पुलिस के अफसरों के बीच किया जाता था। बड़ा हिस्सा उग्रवादी ले रहे थे।
सीआरपीएफ कैंप में छिपा हुआ है चतरा पुलिस का वांटेड नक्सली
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