सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना मामले में गुरुवार को सुनवाई टाल दी है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली नई बेंच ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से एमिकस क्युरी के रूप में कोर्ट की मदद करने का आग्रह किया।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले 25 अगस्त को इस मामले को नई बेंच के सामने लिस्ट करने के लिए चीफ जस्टिस को भेज दिया था। उसके बाद एएम खानविलकर की अध्यक्षता में नई बेंच का गठन किया गया। नई बेंच अभिव्यक्ति की आजादी और कोर्ट की अवमानना से जुड़े सवालों पर विचार करेगी।
पिछली सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने इस मामले को संविधान बेंच को भेजने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि प्रशांत भूषण ने कानून के कुछ सवाल उठाए हैं जिन पर विचार करने के लिए संविधान बेंच को रेफर करना जरुरी है। धवन ने कहा कि इसम मामले में संवैधानिक मसले जुड़े हुए हैं इसलिए अटार्नी जनरल का भी पक्ष सुना जाना चाहिए। तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि प्रशांत भूषण की ओर से उठाए गए सवालों में से कुछ मसले पहले ही हल हो चुके हैं। तब धवन ने कहा था कि संविधान की धारा 129 और 215 के तहत कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्रवाई करना संविधान के दूसरे प्रावधानों का उल्लंघन करती है या नहीं इस पर विचार करना जरुरी है। उसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि तब इसे उचित बेंच के पास लिस्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस मामले में न केवल अटार्नी जनरल बल्कि एमिकस क्युरी के सहयोग की जरुरत भी पड़ सकती है।
ये मामला 2009 में दिए एक इंटरव्यू का है। उस समय प्रशांत भूषण ने 16 में से आधे पूर्व चीफ जस्टिस को भ्रष्ट कहा था। पिछले 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले इस पर विचार ज़रूरी है कि ऐसे बयान से पहले क्या आंतरिक शिकायत करना उचित नहीं होता।