डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विचार को रक्षा क्षेत्र में लागू करने की अपील की। उन्होंने कहा, ऐसा करके भारत खुद को विश्व के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक होने की बजाय सबसे बड़े निर्यातक में बदल सकता है।
रक्षा अनुसंधाव व विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन ने ऑनलाइन इंडिया फाउंडेशन डायलॉग-75 में कहा कि रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का विचार विकसित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अधिवेशन को संबोधित कर रहे रेड्डी ने कहा, जब कोई भारत के रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की बात करता है तो उसका मतलब होता है कि हमारे पास उस खास हथियार या वैपन सिस्टम का डिजाइन, विकास और उत्पादन क्षमता होनी चाहिए, जिसकी सेना को जरूरत है।
उन्होंने कहा, हालांकि पिछले दो दशक में हमने तकनीक के मामले में अहम छलांग लगाई है, लेकिन अब भी हम रक्षा उपकरणों, हथियारों और गोला-बारूद के पूरे विश्व में सबसे बड़े आयातकों में शामिल हैं।
रेड्डी ने कहा, हम क्या कर रहे हैं, ये काफी नहीं है। बहुत सारी चीजों के विकास की जरूरत है और हमें स्टेट ऑफ द आर्ट सिस्टम बाहर से मंगाने के बजाय अपने यहां ही विकसित करने होंगे। अमूमन हम नई तकनीक के फॉलोअर हैं। यह स्थिति बदलनी चाहिए। हमें पहले इस तरह की चीजें, घरेलू निर्मित सिस्टम विकसित करने होंगे ताकि दूसरे हमसे इन सबको खरीदना चाहे।
डीआरडीओ चालू करेगा कई पाठ्यक्रम, जोड़ेगा 500 पीएचडी छात्र अपने साथ
रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वदेशी हथियारों के विकास को लेकर सभी तरह के आवश्यक बदलाव करने का निर्देश दिया है। डीआरडीओ रक्षा क्षेत्र में ज्यादा लोगों को रोजगार देने के लिए विभिन्न प्रकार की पहल व योजनाएं लाएगा। इसके तहत स्नातक व परास्नातक स्तर पर संबंधित पाठ्यक्रम चालू करने की भी योजना है।
उन्होंने कहा, सबसे बड़े आयातक से सबसे बड़ा निर्यातक बनने के लिए हमारे देश के शिक्षाविदें को कोर रिसर्च के क्षेत्र में काम करना होगा। उन्होंने कहा, हमारे पास रक्षा क्षेत्र के तकनीकी शोध व विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 8 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस मौजूद हैं।
उन्होंने कहा, अभी तक 200 से 300 प्रोजेक्टों में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है और हमें इसका लाभ आने वाले सालों में देखने को मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय के साथ मिलकर हम 500 पीएचडी छात्रों का चयन करेंगे, जो डीआरडीओ की लैब में काम करेंगे और हमारी रक्षा समस्याआें को दूर करने के लिए शोध करेंगे।