रांची। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक, कृषि आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक कानून का व्यापक विरोध करने का फैसला किया है। डॉ उरांव ने कहा कि यह बिल हिंदुस्तान के इतिहास में काली स्याही से लिखा जायेगा। किसानों और राज्यों के खिलाफ इस कानून का कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में व्यापक विरोध करेंगे।
कहा कि लोकसभा और राज्यसभा से भारी विरोध के बावजूद गलत तरीके से पास हुए इस बिल को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक कांग्रेस भवन में हुई। बैठक में कहा गया है कि इस बिल को लेकर पूरे देश के किसानों को डर है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली का अंत होगा और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ेगा। प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि मानसून सत्र के बाद राज्यव्यापी कार्यक्रमों की रणनीति तय की जायेगी, लेकिन इतना तो तय है कि इस बिल का उसी प्रकार विरोध होगा, जिस तरह भूमि अधिग्रहण कानून के समय हुई था। उस बिल में केंद्र ने छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी।
उद्योगपतियों के लिए बना कानून
प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि भारतीय खाद्य एवं कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप इस कानून को बनाया गया है, जो किसानों की मोलतोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि पहले भी केंद्र सरकार एक्वीजिशन एक्ट लायी थी, काफी हंगामा हुआ, किसान भी काफी नाराज थे, विरोध को देखते हुए कानून वापस लेना पड़ा। राजेश गुप्ता छोटू, अमूल्य नीरज खलखो, देवजीत देवघरिया, अजय सिंह, एनएसयूआइ के राष्ट्रीय को-आॅर्डिनेटर शारिक अहमद, स्टेट सोशल मीडिया को-आॅर्डिनेटर मोहम्मद हुसैन अंसारी, अनिकेत राज भी इसका विरोध किया।
किसान विरोधी कानून का होगा व्यापक विरोध: डॉ रामेश्वर उरांव
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