पाकिस्तान और तालिबान के बीच अब तक की सबसे खतरनाक डील हो गयी। यह डील भी कोई ऐसी वैसी नहीं है बल्कि इंसानी जान की कीमत पर की गई डील है। दरअसल अफगानिस्तान में तालिबानियों की आतंकी सरकार ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर उन सभी शरणार्थियों को वापस दोबारा अफगानिस्तान भेजने का सौदा कर डाला। इस सौदे के पहले चरण में 272 लोगों को पाकिस्तान में शरण देने के बाद वापस भेज दिया।
जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और पाकिस्तान के आईएसआई चीफ के साथ हुई एक अहम बातचीत में तय हुआ है कि जो लोग बीते कुछ दिनों में अफगानिस्तान से पाकिस्तान में गए हैं उन्हें वापस भेजा जाए। इस कड़ी में पाकिस्तान ने बुधवार को चमन बॉर्डर के इलाके से 272 अफगानी नागरिक को तालिबान भेज दिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान के बॉर्डर बाबा-ए-दोस्ती गेट से तीन दिनों में पहुंचे 272 शरण पाए हुए लोगों को आतंकियों के हवाले कर दिया गया। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि जिन लोगों को पाकिस्तान ने तालिबनियों के हवाले कर दिया है उनको सब को मौत के घाट उतार दिया जाएगा।
विदेशी मामलों के जानकार कर्नल (रि.) जीडी पुरी कहते हैं कि पाकिस्तान को आप तालिबान मानकर चलिए। बस अंतर इतना है कि पाकिस्तान खुलकर शरिया कानून की सिफारिशें लागू नहीं कर पा रहा है लेकिन जहां उसे मौका मिलता है वहां पर वह तालिबानी सरकार के मार्फत इस बात का संदेश देने की कोशिश करता है कि वह अफगानी तालिबानी इस्लामिक मूवमेंट के साथ में जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि पाकिस्तान में शरण पाए हुए अफगानी लोगों को वापस उनके मुल्क जबरदस्ती भेजे जाने की शुरुआत कर दी है।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबानी सरकार नहीं चाहती है कि अफगानी नागरिक देश छोड़कर जाए। ऐसे में उन सभी देशों पर तालिबान की सरकार ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जहां से अफगानी नागरिकों को वापस उनके मुल्क भेजा जा सके। पाकिस्तान इसमें सबसे ज्यादा अफगानिस्तान का सहयोगी बन रहा है। सूत्रों का कहना है कि हक्कानी और फैज हमीद के बीच हुई बातचीत में तय हुआ है कि खासतौर से कराची और आसपास के इलाकों में शरण लेकर पहुंचे अफगानियों को धीरे-धीरे वापस अफगानिस्तान भेजा जाएगा। हालांकि इसे लेकर अफगानिस्तान के शरणार्थियों में पाकिस्तान में ही विरोध होना शुरू हो गया है। लेकिन आईएसआई और सेना ने योजना मुताबिक सबको वापस भेजने की तैयारी कर ली है। एमनेस्टी के लिए साउथ एशिया में काम कर चुकी शाकिया कहती हैं कि यह पाकिस्तान की ओर से मानवाधिकारों के खिलाफ के सबसे खतरनाक सौदा है। वह कहती हैं अगर इसी तरीके से अफगानी शरणार्थियों को तालिबानियों के सुपुर्द कर दिया जाएगा तो उनकी जान बचाना मुश्किल होगा।