प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश और टॉकिंग बुक्स सहित शिक्षा क्षेत्र में पांच महत्वपूर्ण पहलों का शुभारंभ करते हुए कहा कि ये उपाय शिक्षा प्रणाली को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएंगे और युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को “गुणवत्ता और सतत विद्यालय : भारत में विद्यालयों से ज्ञान प्राप्ति” विषय पर आयोजित ‘शिक्षक पर्व’ के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। शिक्षक पर्व 17 सितम्बर तक चलेगा। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश, टॉकिंग बुक्स, सीबीएसई का स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और मूल्यांकन ढांचा, निपुन भारत के लिए ‘निष्ठा’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और विद्यांजलि पोर्टल का शुभारंभ किया।

टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ओलंपिक और पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने युवाओं को प्रेरित किया है। मैंने उनसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान प्रत्येक खिलाड़ी से कम से कम 75 स्कूलों का दौरा करने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री ने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले 44 शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि आप सभी ने कोरोना के कठिन समय में देश में विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो योगदान दिया है वो अतुलनीय है। शिक्षा क्षेत्र में नई योजनाओं की शुरुआत को आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि देश आजादी के 100 वर्ष होने पर कैसा होगा इसके लिए यह नए संकल्प हैं।

उन्होंने शिक्षकों से ऑनलाइन शिक्षा को और सहज बनाने की अपील करने के साथ ही शिक्षकों को अपनी क्षमताएं भी बढ़ाने का आह्वान किया। देश में फिर से स्कूल खुलने को लेकर छात्रों के चेहरे पर आई मुस्कान का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मास्क और दो गज की दूरी के नियमों का पालन करते रहना है।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को केवल पॉलिसी आधारित विषय नहीं मानते हुए इस लागू करने में जनभागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एनईपी को तैयार करने से लागू होने तक हर स्तर पर उसमें आकादमिक, विशेषज्ञ और शिक्षक सबका योगदान रहा है। अब हमें इस भागीदारी को एक नए स्तर तक लेकर जाना है और इसमें समाज को भी जोड़ना है।

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए ‘सबका प्रयास’ को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ ‘सबका प्रयास’ का जो संकल्प लिया है, ‘विद्यांजलि 2.0’ उसके लिए एक प्लेटफॉर्म की तरह है। इसमें हमारे समाज और निजी क्षेत्र को आगे आकर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है।

प्रधानमंत्री के आह्वान पर गैस सब्सिडी छोड़ने सहित तमाम पहलों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जब समाज मिलकर कुछ करता है तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है। पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था।

प्रधानमंत्री ने शिक्षक समुदाय से भी नई-नई तकनीक सीखने का आह्वान करते हुए कहा कि तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। ‘निष्ठा’ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता के साथ ही भारतीय संस्कार उनकी विशेष पूंजी और ताकत हैं।

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