सोशल मीडिया पर शेयर की अपने जिद्दी होने की वजह
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने खुद को जिद्दी बताया है। उन्होंने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला है। उसमें उन्होंने लिखा है कि मुझे विपक्ष के लोगों ने अहंकारी, जिद्दी, घमंडी, कॉरपोरेट घरानों का एजेंट और न जाने कितने विशेषणों से महिमामंडित किया। मेरा कसूर यही है कि मैं अपने क्षेत्र में पीने का पानी, बेहतर सड़क, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, क्षेत्र को देश के विभिन्न कोनों से जोड़ने के लिए कई रेलगाड़ियों का परिचालन तथा क्षेत्र के सम्यक विकास के लिए काम कर रहा हूं। जब कोई व्यक्ति इलाज के अभाव में इस दुनिया से चला जाता है तो इसकी जिम्मेवारी किसकी है। मुंशी प्रेमचंद ने अपनी एक कहानी में कहा था कि क्या विगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं करोगे। अगर मैं क्षेत्र के विकास के लिए अपनों का सैद्धांतिक विरोध करता हूूं तो क्या गुनाह करता हूं। संयुक्त बिहार के समय से ही यहां के लोगों की मांग थी पीने का पानी। इसके लिए मैंने जनांदोलन किया। अदालत की शरण ली तो पुनासी डैम अपने स्वरूप को प्राप्त कर सका। आनेवाले वर्षों में जनता को पीने का पानी और खेतों की प्यास बुझाने के लिए जल मिलता रहेगा। दोआब क्षेत्र में केंद्र सरकार की ओर से संचालित आयुर्विज्ञान संस्थान के शुभारंभ की क्या किसी ने कल्पना की थी। यह मेरी जिद है और यह समस्त जनता जनार्दन के मुझ पर विश्वास और आशीर्वाद का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि श्रावणी मेला इस क्षेत्र की पहचान है। मेले को मंदिर के आसपास केंद्रित रखने और देवतुल्य कांवरियों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मानसरोवर तालाब के किनारे क्यू कांप्लेक्स के निर्माण को मेरे स्वार्थ से जोड़ कर देखा जाता है। पर लोग दिल पर हाथ रख कर बोलें कि इससे क्या नुकसान हुआ है। 2009 के पहले जिन-जिन जनप्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, क्या वो सब यहीं पैदा हुए थे, लेकिन उनकी कर्म भूमि यह क्षेत्र रहा था। तो मुझे मेरे कर्मक्षेत्र में कार्य करने से भला कोई रोक पायेगा क्या। मैं भोलेनाथ का पुत्र हूं और उनकी ही प्रेरणा से मुझे इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य लगातार यहां की जनता के आशीर्वाद से मिलता रहा है। आगे भी मिलता रहेगा, यह मेरा विश्वास है। मैं बाबा नगरी में पला-बढ़ा। एक साधारण परिवार का सदस्य हूं। विकास की नयी ऊंचाई को लक्ष्य बनाकर मैं काम करता रहूंगा।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version