चुनाव आयोग ने खड़े किये हाथ

आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। चुनाव आयोग ने अगले साल उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव कराने में असमर्थता जतायी है। उसका कहना है कि असम, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली, पुदुचेरी और पश्चिम बंगाल में इवीएम और वीवीपैट मशीन फंसी है। जब तक ये वापस नहीं आतीं, कोई भी चुनाव नहीं कराया जा सकता। आयोग ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि असम, केरल, दिल्ली, पुदुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में हुए चुनाव के बाद इवीएम और वीवीपीएटी वहीं हैं। उसने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट उन सभी राज्यों के हाइकोर्ट में चुनाव याचिकाओं के दाखिल होने की समय सीमा तय करे, जिससे इवीएम आगे प्रयोग के लिए मुक्त हो सके। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आयोग द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या में इवीएम और वीवीपीएटी का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, जबकि आने वाले चुनावों के लिए आयोग को इनकी आवश्यकता है। पीठ ने आयोग का कथन सुनने के बाद इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करने का फैसला लिया। वरिष्ठ वकील ने मांग की कि असम, केरल, दिल्ली, पुदुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों से संबंधित चुनाव याचिकाएं दाखिल करने के लिए एक समय सीमा तय की जाये।

इसलिए हुई अड़चन
कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने 27 अप्रैल को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव याचिकाओं सहित याचिका दायर करने की वैधानिक अवधि में ढील दी थी। नतीजतन कोई भी अभी भी निर्वाचित प्रत्याशी के चुनाव को चुनौती दे सकता है। प्रक्रिया के अनुसार न्यायिक कार्यवाही में अपने विचार रखने के लिए मतदान पैनल को इवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को संरक्षित करने की आवश्यकता होती है।

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