नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देनेवाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील पर गंभीर आपत्ति जताई। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के वकील रंजीत कुमार से पूछा कि क्या विभिन्न राज्यों में हिन्दू धर्मस्व से जुड़े कानूनों में ऐसा नहीं है कि बोर्ड के सदस्य वही हो सकते हैं जो हिन्दू धर्म मानते हों।
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मीडिया में बिल्कुल गलत धारणा बनाई जा रही है। हमने हिन्दू धर्मस्व कानूनों की सूची तैयार की है। ओडिशा, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, केरल इत्यादि में ये साफ है कि बोर्ड का सदस्य हिन्दू धर्म मानने वाला ही होना चाहिए। जस्टिस जोसेफ ने उड़ीसा के कानून की धारा 8 का हवाला दिया।
दरअसल अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि वक्फ बोर्ड का सदस्य वही हो सता है जो मुस्लिम धर्म को मानता हो। इस पर आपत्ति जताते हए कोर्ट ने कहा कि वक्फ एक्ट एक रेगुलेटरी कानून है जो वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए है। अगर इस कानून को निरस्त कर दिया जाए तो इससे केवल अतिक्रमणकारियों को ही लाभ मिलेगा। वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्ता है और वो संपत्ति का मालिक बोर्ड नहीं होता। वे संपत्तियों के साथ जो चाहे सो नहीं कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जहां तक याचिका को ट्रांसफर करने का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका लंबित है लेकिन उसमें भी वक्फ एक्ट को चुनौती नहीं दी गई है। केवल दिल्ली हाईकोर्ट में ही वक्फ एक्ट को चुनौती देनेवाली याचिका लंबित है। तब याचिकाकर्ता के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि वो कोर्ट के सभी सवालों पर निर्देश लेकर जवाब देंगे। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।