रांची। राष्ट्रीय आदिवासी प्रेशर ग्रुप महासंगठन ने केंद्रीय मंत्री जनजातीय कार्य अर्जुन मुंडा से बुधवार को नई दिल्ली में भेंट की। इस दौरान उन्हें 10 बिंदुओं से जुड़ा एक मांग पत्र भी सौंपा। इसके जरिये उनसे अपील किया गया है कि आगामी 100 वर्षों तक किसी भी गैर-आदिवासी वर्ग को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया जाए।

मांग पत्र में कहा गया है कि आगामी 100 वर्षों के लिए संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित 730 अनुसूचित जनजातियों की लिस्ट फ्रीज कर दी जानी चाहिये। लोकुर समिति (1965) ने अनुसूचित जनजाति की पहचान के लिए पांच मापदंड बताए थे लेकिन इन आधारों को खारिज कर संविधान के खिलाफ जाकर गैर-आदिवासी संपन्न जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में मंत्रालय इस मसले पर अपने स्तर से नियमानुसार प्रभावी कदम उठाए। संबंधित विभागों व सभी प्रदेश के सरकारों को निर्देशित करें।

मांग पत्र के जरिये महासंगठन ने केंद्रीय मंत्री से अपील करते कहा कि संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित 730 अनुसूचित जनजातियों को सभी राज्यों में एक समान “अनुसूचित जनजाति” के रूप मान्यता दी जाए। असम के चाय बागानों में कार्यरत झारखंडी मूल के आदिवासियों (उरांव, मुंडा, हो, खड़िया, संथाल) को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले। शिड्यूल डिस्ट्रीक्ट एक्ट 1874 (भारतीय संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची, अनुच्छेद 244(1)(2)) के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में जल जंगल जमीन के अधिकार जैसे- ठेका-पट्टा, बाजार-हाट, नौकरी-चाकरी, लघु खनिज (मुरम, बालू, पत्थर), वृहद खनिज (कोयला, लोहा, सोना, बाक्साईट इत्यादि) का मालिकाना हक आदिवासी को-आपरेटिव सोसाइटी को देने का प्रावधान हो।

वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत वनभूमि में रहने वाले आदिवासियों, मूलवासियों को वन अधिकार पट्टा युद्ध-स्तर पर वितरित किया जाए। प्रकृतिवादी आदिवासियों के धार्मिक पहचान ‘सरना धर्म’ को जनगणना कॉलम में पृथक रूप से शामिल किया जाए। डीनोटिफाईड (दखल रहित) भूमियों को वनभूमि में शामिल नहीं किया जाना चाहिये। असम एवं पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में कार्यरत चाय श्रमिकों को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित निम्नतम दैनिक मजदूरी के अनुसार मजदूरी मिले। मरांगबुरू पूजा स्थल पारसनाथ पहाड़ (गिरिडीह, झारखंड), लुगूबुरू घंटाबाड़ी, सिरसीता नाले अंतर्गत ककड़ो -लाता, धर्मे कंडो, डबनी चूंआ धार्मिक तीर्थ स्थल जैसे पवित्र, धार्मिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाए।

केंद्रीय मंत्री से मिलने वालों में सरना धर्म गुरु सह राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के अध्यक्ष बंधन तिग्गा, राष्ट्रीय आदिवासी प्रेशर ग्रुप महासंगठन के समन्वयक संजय पाहन और राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के प्रदेश अध्यक्ष रवि तिग्गा शामिल रहे।

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