काठमांडु। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को बड़ा झटका लगा है। ओली के पास संसद में दो तिहाई का बहुमत होने के बावजूद वो न तो डिप्टी स्पीकर के खिलाफ महाभियोग ही ला पाए और ना ही संसद को ही सुचारू रूप से चला पाए। सरकार ने अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए आज अचानक ही संसद के अधिवेशन को समाप्त करने की सिफारिश कर दी है।

प्रधानमंत्री ओली की अध्यक्षता में रविवार शाम को हुई कैबिनेट की बैठक में संसद की वर्षाकालीन अधिवेशन को समाप करने का निर्णय लिया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं सूचना तथा संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कहा कि सोमवार की मध्य रात से संसद का वर्षाकालीन अधिवेशन को अंत करने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष सिफारिश करने का निर्णय लिया गया है। सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस सत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि संक्रमणकालीन न्याय संबंधी विधेयक को सर्वसम्मति से पारित होना बताया गया है।

सरकार के प्रवक्ता ने विपक्षी दलों पर संसद की कार्रवाई में पिछले एक हफ्ते से लगातार अवरोध डालने के कारण इसे अंत करने का निर्णय लिए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बिना कारण ही विपक्षी दल संसद के काम कार्रवाई में बाधा डालने के कारण यह निर्णय लिया गया। गुरूंग ने कहा कि माओवादी द्वारा दस वर्षों तक किए गए हिंसात्मक घटना को गौरवान्वित नहीं किया जा सकता है।

डिप्टी स्पीकर के खिलाफ महाभियोग लगाए जाने के निर्णय से सरकार के पीछे हटने के सवाल पर सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सत्ता साझेदार दोनों बड़ी पार्टियों ने इस पर औपचारिक निर्णय लिया था पर नेपाली कांग्रेस के कई सांसदों के देश के बाहर रहने के कारण इसे संसद में पेश नहीं किया जा सका। उन्होंने दावा किया कि शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले तक यदि डिप्टी स्पीकर ने पद से इस्तीफा नहीं दिया तो इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा।

सरकार के प्रवक्ता गुरुंग ने कहा कि कुछ स्थानों पर होने वाले उपचुनाव को 01 दिसंबर को करने का फैसला लिया गया है। स्थानीय निकाय के 39 मेयर तथा डिप्टी मेयर का चुनाव करने को लेकर निर्वाचन आयोग ने सरकार के समक्ष आज ही सिफारिश की थी।

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