बिना जमीन अधिग्रहण काम करने का खामियाजा
रांची। महालेखाकार ने ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के कार्यों की ऑडिट में कई गड़बड़ी पकड़ी है। बिना जमीन अधिग्रहण किए ही सड़क-पुल निर्माण की योजना लेने और इस वजह से करोड़ों की राशि बर्बाद होने पर आपत्ति भी जतायी है। दरअसल, जांच में यह बात सामने आया कि तत्कालीन ग्रामीण विकास सचिव द्वारा मुख्यमंत्री ग्राम सेतू योजना अंतर्गत साहेबगंज के बरहरवा के आंगलोई एवं बड़ा चांदपुर के मध्य गुमानी नदी के आर-पार उच्चस्तरीय पुल निर्माण के लिए 4.25 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मार्च 2012 में दी गयी थी। जिस पर मुख्य अभियंता स्तर पर तकनीकी स्वीकृति भी दी गयी। इसमें 233 मीटर का पहुंच पथ 124 मीटर आंगलोई की ओर एवं 109 मीटर चांदपुर की ओर शामिल था। नवंबर 2012 में टेंडर करके करीब 4.47 करोड़ का एकरारनामा किया गया। काम भी शुरू हुआ भी पुल भी बना दिया गया। लेकिन 233 मीटर पहुंच पथ के निर्माण के विरूद्ध 90 मीटर ही पहुंच पथ बना।
संयुक्त भौतिक सत्यापन के दौरान पुल के पहुंच पथ की ली गई तस्वीर
जिसमें 60 मीटर चांदपुर व 30 मीटर आंगलोई की ओर पहुंच पथ बन पाया। पहुंच पथ बनाने के लिए आवश्यक जमीन जो चाहिए था उसके अधिग्रहण के लिए भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। बाद में डीसी साहेबगंज की ओर इस योजना की जांच करायी गयी। यह बात सामने आया कि पहुंच पथ के रास्ते एक घर और जब तक इसे नहीं हटाया जायेगा तब तक आवागमन वहां सुचारू रूप से चालू नहीं किया जा सकता है। बाद में इसे वहीं बनाकर छोड़ दिया गया। एजी ने अपनी भौतिक सत्यापन में भी यह बात पाया। अब महालेखाकार कार्यालय का कहना है कि जब पूरी जमीन उपलब्ध नहीं थी, इतनी बड़ी पुल व सड़क निर्माण में कराके व्यर्थ किया गया। इसकी जिम्मेवारी भी तय की जानी है। एजी ने इस पर पूरी रिपोर्ट सरकार से भी मांगी है। ऐसे में पुल व एपोर्च रोड के पूरा नहीं होने की वजह से आंगलोई व चांदपुर निवासियों को कोई फायदा नहीं हुआ।