पलामू। झारखंड के पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड अंतर्गत कंचनपुर पंचायत के लंगडीतर पिछुलिया टोला की महिलाओं ने सामूहिक प्रयास से एक मिसाल कायम की है। ‘मंईया सम्मान योजना’ के तहत खाते में प्राप्त राशि को महिलाओं ने चंदे के रूप में एकत्र कर सड़क निर्माण में लगा दिया। परिणामस्वरूप, ग्रामीणों के श्रमदान से करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी मिट्टी-मोरम की सड़क दो दिनों में तैयार कर दी गई। शनिवार को जिले के 3.50 लाख लाभुकों के खातों में मंईया सम्मान योजना के तहत दो महीने की राशि—प्रत्येक महिला को पाँच हजार रुपये जमा की गई थी। राशि प्राप्त होते ही पिछुलिया टोला की 25 महिलाओं ने आपसी सहमति से दो-दो हजार रुपये का योगदान देने का निर्णय लिया। इसके बाद ग्रामीणों ने मिलकर श्रमदान शुरू किया और सोमवार तक सड़क बनकर पूरी तरह तैयार हो गई।
सड़क की जर्जर हालत बनी प्रेरणा
ग्रामीणों के अनुसार टोला में लंबे समय से सड़क की हालत बेहद खराब थी, जिससे बच्चों का स्कूल जाना, मरीजों का अस्पताल पहुंचना और रोजमर्रा की आवाजाही काफी कठिन हो गई थी। वाहन गांव तक नहीं पहुंच पा रहे थे, जिससे ग्रामीण बेहद परेशान थे। ऐसी स्थिति में जब मंईया सम्मान योजना की राशि प्राप्त हुई, तो ग्रामीण महिला प्रेमशीला देवी के नेतृत्व में सभी महिलाओं ने इस राशि का सामूहिक उपयोग करने का निर्णय लिया। ग्रामीण प्रशांत राज और जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की गई। इस कमेटी की अगुवाई में महिलाओं ने सहभागिता दिखाई और श्रमदान के माध्यम से सड़क निर्माण कार्य शुरू किया। पुरुषों ने भी ट्रैक्टर, फावड़ा व अन्य संसाधन उपलब्ध कराए। यह कार्य शनिवार से शुरू होकर सोमवार को पूरा हो गया।
सामुदायिक प्रयासों की सराहना
इस सामूहिक प्रयास में प्रेमशीला देवी, सोनी देवी, बसंती देवी, गीता देवी, प्रतिमा देवी, मंजू राम, डॉ. विनोद कुमार, प्रशांत राज, जितेंद्र कुमार, अभिषेक कुमार, उदय कुमार बाली, ज्ञान प्रकाश, मदन राम, बीरेंद्र राम और राहुल सहित कई ग्रामीणों ने सक्रिय भूमिका निभाई। ग्रामीण महिला प्रेमशीला देवी ने कहा, “जब महिलाओं के खाते में योजना की राशि आई, तो हमने तय किया कि इसे व्यक्तिगत खर्च के बजाय सामुदायिक हित में लगाया जाए। चंदा एकत्र किया और आपसी श्रमदान से यह सड़क बनाई गई।” यह पहली बार है जब मंईया सम्मान योजना की राशि का उपयोग सड़क निर्माण जैसे सामुदायिक कार्य के लिए किया गया है। यह पहल न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि ग्रामीण विकास में महिला भागीदारी का सशक्त उदाहरण भी है।