विशेष
पीढ़ी बड़े समूहों का कारक है, इनके बीच विभाजन का फार्मूला चिंतनीय
जलता नेपाल और जेनरेशन जेड का अचानक हाइलाइट होना, कहीं सोची-समझी रणनीति तो नहीं
डीप स्टेट और गिरती सरकारों के बीच का रहस्य क्या है
125 साल में दुनिया के लोग आठ पीढ़ियों में विभाजित हो चुके हैं
हर पीढ़ी की अलग-अलग खासियत, अलग-अलग चुनौती

पड़ोसी देश नेपाल में जिस तरह के आंदोलन से तख्तापलट को अंजाम दिया गया, उससे पूरी दुनिया में एक मुद्दा बड़ी तेजी से सामने आया है। यह मुद्दा है पीढ़ियों के बीच के संघर्ष का। नेपाल में तख्तापलट आंदोलन को जिन नौजवानों ने अंजाम दिया, उन्हें जेन जेड कहा जा रहा है। इस पीढ़ी के लोग कौन हैं और इनकी क्या खासियत है, यह दुनिया को पता नहीं है। इसी तरह इस पीढ़ी से पहले की पीढ़ियों और फिर बाद की पीढ़ियों के बीच किस तरह का संघर्ष चला या चल रहा है, यह भी जानना बेहद रोमांचक हो सकता है। समाजशास्त्रियों के अनुसार, दुनिया में हमेशा से पीढ़ियों के बीच संघर्ष चलता रहता है और इसके कारण ही दुनियादारी आगे बढ़ती रहती है। पीढ़ियों के बीच का यह संघर्ष न केवल सामाजिक संरचना को मजबूत करता है, बल्कि विकास की अवधारणा को गति भी प्रदान करता है। इसलिए नेपाल में जिस पीढ़ी को लोगों ने आंदोलन कर तख्तापलट किया, उनके बारे में यह कहा जाना की उन्हें दुनिया की समझ नहीं थी, गलत है। आज हम जिस दौर में हैं, उसमें कुल आठ पीढ़ी के लोग रह रहे हैं, हालांकि हमारी पहली पीढ़ी अब खत्म होने की कगार पर है। इसलिए कहा जा सकता है कि आज दुनिया आठ पीढ़ियों में विभाजित हो चुकी है और हर पीढ़ी की अपनी-अपनी खासियत और चुनौतियां होती हैं। इन खासियतों और चुनौतियों से पार पाकर आगे बढ़ने को ही समाजशास्त्र की भाषा में विकास कहा जाता है। लेकिन पीढ़ियों का विभाजन कर उसे किसी मकसद के लिए इस्तेमाल करना कहीं से भी सही नहीं। पीढ़ियां या जेनरेशन समूहों में बड़ी होती जाती हैं। नेपाल की घटना में अचानक जेनेरशन जेड शब्द का उछलना गहरी साजिश को दर्शाता है। भारत के पड़ोसी देशों में पहले श्रीलंका (2022) फिर बांग्लादेश (2024) अब नेपाल में तख्तापलट का पैटर्न एक जैसा है। जानकारों की मानें तो दुनियाभर में जो सरकारें गिर रही हैं, युद्ध हो रहे हैं, उनके पीछे अमेरिकी सरकार से ज्यादा डीप स्टेट का एजेंडा छिपा हुआ है। डीप स्टेट शब्द का इस्तेमाल एक गुप्त और अनधिकृत नेटवर्क के बारे में किया जाता है, जो सरकारी, कॉरपोरेट और गैर-सरकारी अभिजात्य वर्गों द्वारा नीति-निर्माण को नियंत्रित करता है। निर्वाचित सरकारों को कमजोर करता है, और अपने हितों को बढ़ावा देता है। आम तौर पर इस शब्द को आजकल अमेरिकी डीप स्टेट के संदर्भ में लिया जाता है। जार्ज सोरोस के संगठन ओपन सोसायटी फाउंडेशन (ओएसएफ) को इसके पीछे बताया जाता है। इस संगठन को बहुत से देशों में शासन परिवर्तन, क्रांतियों, और अस्थिरता पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। भारत में भारतीय जनता पार्टी भी इस संगठन पर आरोप लगाती रही है कि विपक्ष को ओएसएफ से सहयोग मिलता रहा है। नेपाल में क्रांति को डीप स्टेट की साजिश मानने के पीछे कई तर्क भी हैं। क्या है पीढ़ियों के बीच का संघर्ष और क्यों खतरनाक है इनमें विभाजन फार्मूला बता रहे हैं आजाद सिपाही के संपादक राकेश सिंह।

डीप स्टेट और गिरती सरकारें
बात कुछ दिनों पहले की है। हमारे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने राज्य सभा में खड़े होकर कहा था कि हम किसी भी कीमत पर भारत के लोकतंत्र को डीप स्टेट के हाथों खत्म होने नहीं देंगे। भारत की गिनती दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देशों में की जाती है। अचानक से इसे किसी डीप स्टेट नाम की अंजान शक्ति से क्या खतरा है? भारत ही नहीं, यह टर्म इन दिनों दुनिया के कई देशों में काफी चर्चा में है। क्या सच में डीप स्टेट का कोई वजूद है? या यह एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी है? कई जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो हाल ही में पाकिस्तान, बांग्लादेश और सीरिया में जो सरकारें गिरी हैं, उनमें डीप स्टेट का हाथ बताया जा रहा है। इससे पहले दुनिया के कई देशों में अमेरिका द्वारा जो सरकारें गिरायी गयीं, उनमें भी कहीं न कहीं डीप स्टेट के पर्सनल इंटरेस्ट थे। अब सवाल है कि आखिर डीप स्टेट है क्या? कैसे इसकी शुरूआत हुई और क्यों दुनिया के कई देशों की सरकारों को यह टर्म काफी डराता है? डीप स्टेट अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसी का नेटवर्क है। इसमें सीआइए, एफबीआइ, एनएसए आदि शामिल हैं। कहा जाता है कि अमेरिका में जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी गयी सरकार है, उससे ज्यादा शक्ति डीप स्टेट के पास है। दुनियाभर में जो सरकारें गिर रही हैं, युद्ध हो रहे हैं, उनके पीछे अमेरिकी सरकार से ज्यादा डीप स्टेट का एजेंडा छिपा हुआ है।
पड़ोसी देश नेपाल की घटनाओं ने पूरी दुनिया में एक बहस छेड़ दी है कि क्या इस दुनिया के लोग असंवेदनशील और हिंसक होते जा रहे हैं। नेपाल में जो कुछ हुआ, उसके पीछे एक खास आयु वर्ग का हाथ होने की बात कही जा रही है। इस आयु वर्ग को जेनरेशन जेड या जेन जेड कहा जाता है। क्या होता है यह जेनरेशन या पीढ़ी, जिसके बीच अक्सर संघर्ष की बातें होती रहती हैं, अध्ययन होते रहते हैं। नेपाल की घटनाओं की पृष्ठभूमि में पीढ़ियों के बारे में जानना रोमांचक हो सकता है।

क्या है पीढ़ियों की अवधारणा
हम अक्सर पीढ़ियों के बारे में सुनते और पढ़ते आ रहे हैं। समय और उम्र के अनुसार लोगों को अलग-अलग पीढ़ियों में विभाजित किया गया है। कोई पुरानी पीढ़ी के लोग कहलाते हैं और कुछ नयी पीढ़ी के लोग होते हैं। अक्सर लोग अपनी-अपनी पीढ़ी के समय को याद कर खुद को एक-दूसरे से बेहतर बताने की कोशिश करते हैं, तो वहीं कुछ नयी पीढ़ी को देख अफसोस मनाते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यह पीढ़ी क्या है, जिसका जिक्र लगभग हर व्यक्ति की जुबां पर रहता है।

पीढ़ी या जेनरेशन क्या है
एक पीढ़ी एक ही समय में पैदा हुए और एक ही स्थान पर पले-बढ़े लोगों का समूह है। इस जन्म समूह के लोग अपने पूरे जीवन में समान विशेषताओं, प्राथमिकताओं और मूल्यों का प्रदर्शन करते हैं। पीढ़ियां एक डिब्बा नहीं हैं, बल्कि यह एक शक्तिशाली सबूत हैं, जो बताती हैं कि अलग-अलग उम्र के लोगों का साथ जुड़ना और प्रभावित करना कहां से शुरू करना है। हालांकि, समय के अनुसार पीढ़ियों के बीच अंतर बढ़े, जिसकी वजह से यह जानना जरूरी है कि हर पीढ़ी कब शुरू होती है और कब समाप्त होती है।

भौगोलिक स्थितियों से भी रिश्ता
पीढ़ियों का भौगोलिक स्थितियों के साथ भी गहरा संबंध है। उदाहरण के लिए, मिलेनियल्स वैश्विक स्तर पर सबसे सुसंगत पीढ़ी है। हालांकि इसके बावजूद अभी भी शहरी परिवेश में पले-बढ़े मिलेनियल्स और ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े या नये देश में जाने वाले मिलेनियल्स के बीच महत्वपूर्ण अंतर देखने को मिलता है।

क्या है जेन जेड, जिसने नेपाल में किया तख्तापलट
नेपाल में सड़कों पर उतर आये युवाओं के उस विकराल झुंड को जेन जेड कहा जा रहा है, जिसके विद्रोह ने वहां की सत्ता पलट दी। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दुबई भाग गये। राष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया। अन्य मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया। वित्त मंत्री को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। संसद समेत कई भवनों को आग लगा दी गयी। यहां यह जानना जरूरी है कि क्या है जेनरेशन जेड और दुनिया भर में यह किस रूप में जानी जाती है। जेन जेड उन लोगों को कहा जाता है, जो 1997 से 2012 के बीच जन्मे हैं, यानी इस पीढ़ी के लोग अभी 13 से 28 वर्ष की उम्र के हैं। यह पीढ़ी इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में पली-बढ़ी है, जिसके कारण यह तकनीक-संपन्न तो है ही, जागरूक और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय भी हैं। इन्हें जिलेनियल्स भी कहा जाता है। यह आज के समय की सबसे चर्चित और प्रभावशाली पीढ़ी है। तकनीक उनके डीएनए में है और इस पीढ़ी के लोग नये एप और ट्रेंड को बहुत तेजी से अपनाते हैं। इस पीढ़ी को डिजिटल नेटिव्स के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के युग में बड़ी हुई है। दुनिया भर के सर्वेक्षणों और अध्ययनों के अनुसार जेन जेड को एक जागरूक, विविधता-प्रिय, पर्यावरण को लेकर जागरूक और सामाजिक न्याय की हिमायती पीढ़ी माना जाता है। वे लिंग, यौन अभिव्यक्ति, नस्ल और व्यक्तिगत शैली के मामले में अधिक खुले हैं।

क्या है जेन जेड की विशेषताएं
यह पीढ़ी हाइपर कॉग्निटिव है, यानी यह कई स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करके फैसला लेती है। इस पीढ़ी के लोग सूचनाओं को लेकर ज्यादा अद्यतन रहते हैं। ये आभासी के साथ वास्तविक दुनिया के साथ भी बखूबी तालमेल बिठाते हुए चलते हैं। हालांकि यह चिंताग्रस्त पीढ़ी भी है, जिसमें पर्यावरण, आर्थिक अस्थिरता और मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्याएं शामिल हैं।

क्या ये विरोधाभासों से भरी पीढ़ी भी है
यह भी कहा जाता है कि जेन जेड विरोधाभासों से भरी पीढ़ी है। यह आशावादी तो हैं, लेकिन वास्तविकतावादी भी। 2025 में कराये गये एक सर्वे के अनुसार 89% जेन जेड को लगता है कि काम में उद्देश्य जरूरी है। ये पैसा कमाने के साथ-साथ स्वास्थ्य और आंतरिक विकास पर फोकस करते हैं, हालांकि ये अधिक व्यक्तिवादी हैं। यह पीढ़ी बड़े होते हुए 2008 के आर्थिक संकट और कोविड-19 जैसी घटनाओं को देखने के कारण वित्तीय रूप से अधिक व्यावहारिक है। उनमें खुद
का व्यवसाय शुरू करने की प्रवृत्ति अधिक है।

दुनियाभर में जेन जेड क्या कर रही है
जेन जेड न केवल उपभोक्ता और कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की अगुवाइ कर रही है। यह सोशल मीडिया को गतिविधियों का हथियार बनाती है, जैसे टिकटॉक पर विरोध या इंस्टाग्राम पर जागरूकता फैलाना। यह पीढ़ी पर्यावरण पर सबसे ज्यादा सक्रिय है और उससे संबंधित विरोधों में काफी हिस्सा लेती है। कुल मिलाकर जेन जेड दुनिया को बदल रही है। विरोध से नीतियों तक और आभासी-डिजिटल से वास्तविक दुनिया तक, यह पीढ़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, लेकिन इसकी गतिविधि से सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है।

जेन जेड के बाद की पीढ़ी क्या कही जाती है
जेन जेड के बाद की पीढ़ी को जेनरेशन अल्फा कहा जाता है। यह नाम आॅस्ट्रेलियाइ शोधकर्ता मार्क मैक्रिंडल ने 2008 में दिया था, जो ग्रीक वर्णाक्षर के पहले अक्षर अल्फा से लिया गया है। यह पीढ़ी पूरी तरह से 21वीं शताब्दी में पैदा हुई पहली पीढ़ी है। इन्हें 2013 से लेकर 2025 तक माना जाता है। 2025 के बाद जो पीढ़ी शुरू होगी, उसको जेनरेशन बीटा कहा जायेगा और यह 2025 से 2039 तक चलेगी।

जेनरेशन अल्फा की खासियतें
यह पीढ़ी जेन जेड से भी अधिक तकनीक-केंद्रित है। यह जन्म से ही स्मार्टफोन, एआइ और डिजिटल दुनिया में पली-बढ़ी है। मैक्रिंडल शोध के अनुसार यह सबसे समृद्ध, तकनीकी रूप से सक्षम और लंबी उम्र वाली पीढ़ी होगी। यह शिक्षा में लंबा समय बितायेगी, कम उम्र में कमाई शुरू करेगी और माता-पिता के साथ ज्यादा देर रहेगी। जेन अल्फा को आइ-पैड किड्स भी कहा जाता है, क्योंकि ये टैबलेट और स्क्रीन के साथ बड़े हो रहे हैं।

आज की प्राथमिक पीढ़ियां कौन सी हैं
वर्तमान में नौ पीढ़ियां मिलकर हमारे समाज को बनाती हैं। इन नौ पीढ़ियों में से हर एक की कार्यबल, बाजार और समुदायों में सक्रिय भूमिका होती है। ये नौ पीढ़ियां यानी जेनरेशन निम्न हैं

1. ग्रेटेस्ट जेनरेशन
जन्म का समय- 1901 से 1927 तक
साल 1901 से 1927 के बीच जन्म लेने वालों को ग्रेटेस्ट जेनरेशन कहा जाता है। इन्हें इस नाम से इसलिए जाना जाता है, क्योंकि इस दौरान पैदा हुए बच्चों ने काफी संघर्ष देखा और कई तरह की परेशानियों का सामना किया, जिनमें खतरनाक लड़ाइयां, बीमारियां और गरीबी शामिल थीं। यह पीढ़ी अब खत्म होने की कगार पर है।

2. साइलेंट जेनरेशन
जन्म का समय- 1928 से 1945 तक
साइलेंट जेनरेशन का दौर 1928 से 1945 के बीच पैदा हुए लोगों का कहलाता है। इसे साइलेंट जेनरेशन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस समय जन्मे लोगों ने विश्व युद्ध और गुलामी का दौर देखा। इस दौरान लोग अन्याय को चुपचाप सहते थे और इसके खिलाफ बोलने से डरते थे। यह पीढ़ी भी तेजी से खत्म हो रही है।

3. बेबी बूमर
जन्म का समय – 1946 से 1964 तक
साल 1946 से 1964 तक जन्म लेने वाले लोगों को बेबी बूमर जेनरेशन कहा जाता है। उन्हें इस श्रेणी में इसलिए रखा गया, क्योंकि इस दौरान जीवन बदलने वाली कई तकनीक आयी। इस पीढ़ी के लोगों ने अपना पूरा जीवन मेहनत के साथ तकनीकी युग में कार्य करने के तरीके को सीखने में बिता दिया। साथ ही उन्होंने अपने समय में आधुनिक विकास भी देखा।

4. जेनरेशन एक्स
जन्म का समय- 1965 से 1980 तक
बेबी बूमर्स की तरह जेनरेशन भी तकनीक के लिए नये थे। हालांकि इस जेनरेशन को नये जमाने की शुरूआत माना जाता है। इसे हिप्पी कल्चर, सिनेमा, कला और संगीत को एक नया आयाम देने वाली रॉक एंड रोल जेनरेशन माना जाता है। वर्तमान में इस पीढ़ी के लोग बुजुर्ग और युवा आबादी के बीच एक पुल का काम करते हैं।

5. मिलेनियल्स
जन्म का समय- 1981 से 1996 तक
साल 1981 से 1996 के दौरान जन्मे लोगों को मिलेनियल्स कहा जाता है। अक्सर सोशल मीडिया पर मिलेनियल्स से जुड़ी कई पोस्ट देखने को मिलते हैं। यह वह पीढ़ी है, जिसने अपने जीवन में सबसे ज्यादा बदलावों को देखा और सीखा है। इस जेनरेशन के लोगों ने न सिर्फ पुराने जमाने के लोगों की तरह जीवन व्यतीत किया है, बल्कि बदलती तकनीक के साथ खुद को बदला भी है।

6. जेनरेशन जेड
जन्म का समय -1997 से 2012 तक
साल 1997 से 2012 तक में जन्मे बच्चों को जेनरेशन जेड या जेन जेड कहा जाता है। इस पीढ़ी के लोगों की शुरूआत ही सोशल मीडिया से हुई। इस दौर में पैदा हुए लोगों ने ट्रोल्स-साइबर बुलिंग जैसी चीजों का सामना किया। इन्हीं के दौर में ट्रेंडिंग, वाइब्स जैसे कई शब्द भी प्रसिद्ध हुए हैं।

7. जेनरेशन अल्फा
जन्म का समय- 2013 से 2025 तक
इस जेनरेशन में पैदा होने वाले बच्चे काफी तेज दिमाग और मल्टी टास्किंग वाले होते हैं। जन्म से ही तकनीक से जुड़े रहने की वजह से वे इंटरनेट, सेल फोन, टैबलेट और सोशल मीडिया के साथ बड़े हो रहे हैं। जेन अल्फा जेनरेशन को दुनिया की सबसे युवा और 21वीं सदी की असली जेनरेशन माना जाता है।

8. जेनरेशन बीटा
जन्म का समय- 2025 से 2039 तक
अब दुनिया में एक नयी पीढ़ी आ रही है, जिसे जेन बीटा कहा जा रहा है। ये वे लोग हैं, जो 2025 से 2039 के बीच पैदा होंगे। साल 2025 में जिन बच्चों का जन्म होगा, उन्हें बीटा किड्स कहा जायेगा। ये बच्चे ऐसे समय में बड़े हो रहे हैं, जब तकनीक हर जगह एक बड़ी भूमिका अदा कर रही है। जैसे पहले लोग किताबें पढ़ते थे, लेकिन अब बच्चों से लेकर बड़े तक सब कुछ स्मार्ट फोन पर करते हैं। अनुमान है कि जेनरेशन बीटा के बच्चे बड़े होकर ऐसी दुनिया में रहेंगे, जहां गाड़ियां खुद चलेंगी, हमारी सेहत का ख्याल रखने के लिए खास तरह के कपड़े होंगे और हम कंप्यूटर से बनी दुनिया में घूम सकेंगे। यानी ये बच्चे एक ऐसी दुनिया में रहेंगे, जहां तकनीक हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा होगी।

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