नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर (लगभग 90 लाख रुपये) करने के प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इस कदम को भारत के प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए हानिकारक बताया है।

गोगोई ने एक्स पोस्ट में कहा कि अमेरिकी सरकार का यह निर्णय भारत के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों के भविष्य पर कुठाराघात है। जब अमेरिका में एक भारतीय महिला आईएफएस राजनयिक का अपमान हुआ था, तब तत्कालीन प्रधाननमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दृढ़ता के साथ भारत का पक्ष रखा था। इसके विपरीत गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह रवैया भारत और इसके नागरिकों के राष्ट्रीय हितों के लिए बोझ बन गया है।

वर्तमान में एच-1बी वीजा की रजिस्ट्रेशन फीस 215 डॉलर (लगभग 19,000 रुपये) है, जबकि फॉर्म 129 के लिए 780 डॉलर (लगभग 68,000 रुपये) लिए जाते हैं। हाल ही में अमेरिकी सांसद जिम बैंक्स ने अमेरिकी टेक वर्कफोर्स अधिनियम के तहत एक बिल पेश किया, जिसमें वीजा फीस को 60,000 से 1.5 लाख डॉलर तक बढ़ाने की मांग की गई थी। यह प्रस्ताव भारतीय पेशेवरों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि एच-1बी वीजा का सबसे अधिक लाभ भारत को मिलता है।

आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 71 प्रतिशत एच-1बी वीजा धारक भारतीय हैं, जबकि 11.7 प्रतिशत के साथ चिली दूसरे स्थान पर है। जून 2025 तक अमेजन ने 12,000 एच-1बी वीजा स्वीकृत कराए हैं, वहीं माइक्रोसॉफ्ट और मेटा ने लगभग 5,000 वीजा हासिल किए हैं। यह प्रस्तावित फीस वृद्धि भारतीय तकनीकी पेशेवरों और अमेरिकी कंपनियों के लिए चुनौतियां बढ़ा सकती हैं।

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