रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के उन आरोपों पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर बालू घाटों के लिए बनाई गई नियमावली को माफियायों और दलालों के लिए बनाने का आरोप लगाया है।
झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि हेमंत सोरेन सोरन की सरकार ने बालू घाटों के प्रबंधन और नीलामी के लिए जो नई नियमावली बनाई है, उसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और अवैध उत्खनन पर रोक लगाना है। लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी सिर्फ भ्रामक बयान देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में जब वर्षों तक बालू माफिया सक्रिय रहे, तब बाबूलाल मरांडी ने चुप्पी साध ली थी। अब जब सरकार ने व्यवस्थित और पारदर्शी व्यवस्था बनाई है, तब उन्हें अचानक गरीब, आदिवासी और युवाओं की चिंता सताने लगी है।
पेसा कानूून पर भाजपा के सवाल पर झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार पेसा कानून लागू करने और ग्राम सभा को अधिकार देने के प्रति प्रतिबद्ध है। लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में पारदर्शिता और पर्यावरणीय मानकों का पालन भी जरूरी है। समूह आधारित नीलामी से भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी। राजस्व बढ़ेगा और गांवों के विकास व युवाओं के लिए रोजगार का सृजन होगा।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में बालू घाटों से अवैध कमाई ने ही दलालों और माफियाओं को पनपने दिया था। हेमंत सरकार ने इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े प्रावधान किए हैं। बाबूलाल मरांडी द्वारा अधिकारियों का नाम घसीटना उनकी हताशा को दर्शाता है।
विनोद पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार हर वर्ग के हित में काम कर रही है। बालू घाटों के अधिकार ग्राम सभा व कानूनी ढांचे के तहत ही निर्धारित होंगे। पार्टी ने मरांडी से अपील की कि वे निराधार आरोपों के बजाय राज्य के विकास में रचनात्मक सुझाव दें।